tag:blogger.com,1999:blog-1084765739868349994.post1686433446168715604..comments2020-07-13T10:13:02.210-07:00Comments on CG4भड़ास.com: वरुण गाँधी ने उगला मुसलामानों के खिलाफ ज़हर !cg4bhadas.comhttp://www.blogger.com/profile/05378309810586206200noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1084765739868349994.post-10063566029346779642009-03-29T10:32:00.000-07:002009-03-29T10:32:00.000-07:00ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो...ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो भावनाएं भड़का कर वोट बटोरने का ही एक तरीका है. परन्तु ये मेरे देश का और आपका और मेरा भी दुर्भाग्य ही है की इसाई मिशनरियों द्वारा फंडेड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समाचार विश्लेषण के तरीके ने इस राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज और उसकी संस्कृति, राष्ट्रवाद को छद्म सेकुलर दलों को बेचकर एक धर्म विशेष का मखोल उडाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.<BR/>जब अमरनाथ भूमि देने के विरोध में एक तथाकथित विशेष दर्जा प्राप्त राज्य का बहुसंख्यक समाज देश के बहुसंख्यक समाज के विरोध में खडा होता हैं तो वो सेकुलर दल कहाँ जमींदोज हो जाते हैं? मैं कोई पत्रकार तो नहीं न ही किसी राजनीतिक दल का अनुयायी हूँ पर दोहरी नीति जहां दिखाई पड़ती है वहां अंधों में काने का पक्ष जरूर लेता हूँ.<BR/>नरेन्द्र मोदी को 'मौत का सौदागर" कहा जाता है पर ३००० सिक्खों का कत्ले आम मचाने वाले जगदीश टाइटलर को निर्दोष साबित कर दिया जाता है क्योंकि १९८४ मैं निजी मीडिया इतनी ताकतवर नहीं थी और सरकारी मीडिया पर सरकार का नियंत्रण था.<BR/>इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से त्रस्त उपमहाद्वीप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के अधीन मीडिया के चैनल्स कहते हैं आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता. वहीँ एक साध्वी जिसके खिलाफ नार्को टेस्ट के नाकाम रहने के बावजूद ज्यादती की जाती है , उसे लेकर "हिन्दू आतंकवाद" नाम से एक चैनल पर नयी समाचार श्रंखला शुरू की जाती है.<BR/>ये सार्वभौमिक सत्य है की इस देश में मुस्लिम और इसाई के हित की बात करने वाला सेकुलर और हिन्दू के हित की बात करने वाला सांप्रदायिक कहलाता है. तभी कांग्रेस को बिकी मीडिया का ध्यान किदवई के भाषण पर नहीं जाता और वरुण गाँधी एक अक्षम्य अपराधी दिखने लगता है.<BR/>चाहे दक्षिण के राज्यों में इसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तसवीरें छापकर बांटी जाए या बिहार,श्रीनगर और उत्तरप्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में पाकिस्तान के झंडे फहराएं जायें तब ये छद्म सेकुलर दल और मीडिया कहाँ जाकर सो जाते हैं?<BR/>तथाकथित सेकुलर पार्टी की सरकार के बहादुर अफसर आतंकवादियों की मुठभेड़ में मारे जाते हैं और उसी के घटक दल एक समुदाय को खुश करने के लिए इनकी जांच करने की मांग करते हैं.<BR/>अल्पसंख्यको से प्रेम करना गुनाह नहीं है पर ये मीडिया और सरकार उन लाखों कश्मीरी पंडित विस्थापितों के मुद्दे पर कोई फिल्म या डॉक्युमेंटरी क्यों नहीं बनाती जिन्हें धर्म के नाम पर अपनी जन्मभूमि से खदेड़ दिया गया था?<BR/>हकीक़त तो ये है की जब कांग्रेस ने देखा की भाजपा हिंदुत्व या राष्ट्रवाद के नाम पर आगे निकल जायेगी तो इन्होने तथाकथित पिछडों (जिनकी औसत आय और संपत्ति अगडे ब्राह्मणों से बहुत ज्यादा है.) को आरक्षण देकर बहुसंख्यक समाज के टुकड़े टुकड़े कर दिए. क्या जातिवाद के नाम पर हो रही राजनीति साम्प्रदायिकता का ही स्वरुप नहीं?<BR/>अंत में मै यही कहना चाहूँगा के छद्म सेकुलर दल तो एंटी-हिन्दू और राष्ट्र विरोधी हैं जबकि हिंदुत्व तो खुद में ही सर्वधर्मसमभाव और राष्ट्रवाद निहीत किये है.<BR/>उम्मीद है वक़्त के साथ देश का हिन्दू और बाकि धर्मों को मान ने वाले भी राष्ट्रवाद की अवधारणा को समझेंगे नहीं तो अगले ५० वर्ष में देश का तालिबानीकरण शुरू हो ही जायेगा. क्यूंकि "वन्दे मातरम्" गाना किसी धर्म को नहीं देश प्रेम और संस्कारों को दर्शाता है. और हमारे जिन भाइयों ने मुग़ल शासकों के अत्याचारी काल में अपना धर्म बदल लिया था उन में भी कुछ तो धर्म की कट्टरता से दूर मातृभूमि के संस्कार होने ही चाहिए. आखिर हैं तो उनके पूर्वज भी आर्यन्स और द्रविडा ही.<BR/>वन्दे मातरम्!<BR/>जय हिंद!Vinay purohithttps://www.blogger.com/profile/15436077455877873483noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1084765739868349994.post-58306347767341089032009-03-29T10:31:00.000-07:002009-03-29T10:31:00.000-07:00ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो...ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो भावनाएं भड़का कर वोट बटोरने का ही एक तरीका है. परन्तु ये मेरे देश का और आपका और मेरा भी दुर्भाग्य ही है की इसाई मिशनरियों द्वारा फंडेड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समाचार विश्लेषण के तरीके ने इस राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज और उसकी संस्कृति, राष्ट्रवाद को छद्म सेकुलर दलों को बेचकर एक धर्म विशेष का मखोल उडाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.<BR/>जब अमरनाथ भूमि देने के विरोध में एक तथाकथित विशेष दर्जा प्राप्त राज्य का बहुसंख्यक समाज देश के बहुसंख्यक समाज के विरोध में खडा होता हैं तो वो सेकुलर दल कहाँ जमींदोज हो जाते हैं? मैं कोई पत्रकार तो नहीं न ही किसी राजनीतिक दल का अनुयायी हूँ पर दोहरी नीति जहां दिखाई पड़ती है वहां अंधों में काने का पक्ष जरूर लेता हूँ.<BR/>नरेन्द्र मोदी को 'मौत का सौदागर" कहा जाता है पर ३००० सिक्खों का कत्ले आम मचाने वाले जगदीश टाइटलर को निर्दोष साबित कर दिया जाता है क्योंकि १९८४ मैं निजी मीडिया इतनी ताकतवर नहीं थी और सरकारी मीडिया पर सरकार का नियंत्रण था.<BR/>इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से त्रस्त उपमहाद्वीप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के अधीन मीडिया के चैनल्स कहते हैं आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता. वहीँ एक साध्वी जिसके खिलाफ नार्को टेस्ट के नाकाम रहने के बावजूद ज्यादती की जाती है , उसे लेकर "हिन्दू आतंकवाद" नाम से एक चैनल पर नयी समाचार श्रंखला शुरू की जाती है.<BR/>ये सार्वभौमिक सत्य है की इस देश में मुस्लिम और इसाई के हित की बात करने वाला सेकुलर और हिन्दू के हित की बात करने वाला सांप्रदायिक कहलाता है. तभी कांग्रेस को बिकी मीडिया का ध्यान किदवई के भाषण पर नहीं जाता और वरुण गाँधी एक अक्षम्य अपराधी दिखने लगता है.<BR/>चाहे दक्षिण के राज्यों में इसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तसवीरें छापकर बांटी जाए या बिहार,श्रीनगर और उत्तरप्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में पाकिस्तान के झंडे फहराएं जायें तब ये छद्म सेकुलर दल और मीडिया कहाँ जाकर सो जाते हैं?<BR/>तथाकथित सेकुलर पार्टी की सरकार के बहादुर अफसर आतंकवादियों की मुठभेड़ में मारे जाते हैं और उसी के घटक दल एक समुदाय को खुश करने के लिए इनकी जांच करने की मांग करते हैं.<BR/>अल्पसंख्यको से प्रेम करना गुनाह नहीं है पर ये मीडिया और सरकार उन लाखों कश्मीरी पंडित विस्थापितों के मुद्दे पर कोई फिल्म या डॉक्युमेंटरी क्यों नहीं बनाती जिन्हें धर्म के नाम पर अपनी जन्मभूमि से खदेड़ दिया गया था?<BR/>हकीक़त तो ये है की जब कांग्रेस ने देखा की भाजपा हिंदुत्व या राष्ट्रवाद के नाम पर आगे निकल जायेगी तो इन्होने तथाकथित पिछडों (जिनकी औसत आय और संपत्ति अगडे ब्राह्मणों से बहुत ज्यादा है.) को आरक्षण देकर बहुसंख्यक समाज के टुकड़े टुकड़े कर दिए. क्या जातिवाद के नाम पर हो रही राजनीति साम्प्रदायिकता का ही स्वरुप नहीं?<BR/>अंत में मै यही कहना चाहूँगा के छद्म सेकुलर दल तो एंटी-हिन्दू और राष्ट्र विरोधी हैं जबकि हिंदुत्व तो खुद में ही सर्वधर्मसमभाव और राष्ट्रवाद निहीत किये है.<BR/>उम्मीद है वक़्त के साथ देश का हिन्दू और बाकि धर्मों को मान ने वाले भी राष्ट्रवाद की अवधारणा को समझेंगे नहीं तो अगले ५० वर्ष में देश का तालिबानीकरण शुरू हो ही जायेगा. क्यूंकि "वन्दे मातरम्" गाना किसी धर्म को नहीं देश प्रेम और संस्कारों को दर्शाता है. और हमारे जिन भाइयों ने मुग़ल शासकों के अत्याचारी काल में अपना धर्म बदल लिया था उन में भी कुछ तो धर्म की कट्टरता से दूर मातृभूमि के संस्कार होने ही चाहिए. आखिर हैं तो उनके पूर्वज भी आर्यन्स और द्रविडा ही.<BR/>वन्दे मातरम्!<BR/>जय हिंद!Vinay purohithttps://www.blogger.com/profile/15436077455877873483noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1084765739868349994.post-74119622793450978742009-03-29T10:30:00.000-07:002009-03-29T10:30:00.000-07:00ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो...ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो भावनाएं भड़का कर वोट बटोरने का ही एक तरीका है. परन्तु ये मेरे देश का और आपका और मेरा भी दुर्भाग्य ही है की इसाई मिशनरियों द्वारा फंडेड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समाचार विश्लेषण के तरीके ने इस राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज और उसकी संस्कृति, राष्ट्रवाद को छद्म सेकुलर दलों को बेचकर एक धर्म विशेष का मखोल उडाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.<BR/>जब अमरनाथ भूमि देने के विरोध में एक तथाकथित विशेष दर्जा प्राप्त राज्य का बहुसंख्यक समाज देश के बहुसंख्यक समाज के विरोध में खडा होता हैं तो वो सेकुलर दल कहाँ जमींदोज हो जाते हैं? मैं कोई पत्रकार तो नहीं न ही किसी राजनीतिक दल का अनुयायी हूँ पर दोहरी नीति जहां दिखाई पड़ती है वहां अंधों में काने का पक्ष जरूर लेता हूँ.<BR/>नरेन्द्र मोदी को 'मौत का सौदागर" कहा जाता है पर ३००० सिक्खों का कत्ले आम मचाने वाले जगदीश टाइटलर को निर्दोष साबित कर दिया जाता है क्योंकि १९८४ मैं निजी मीडिया इतनी ताकतवर नहीं थी और सरकारी मीडिया पर सरकार का नियंत्रण था.<BR/>इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से त्रस्त उपमहाद्वीप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के अधीन मीडिया के चैनल्स कहते हैं आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता. वहीँ एक साध्वी जिसके खिलाफ नार्को टेस्ट के नाकाम रहने के बावजूद ज्यादती की जाती है , उसे लेकर "हिन्दू आतंकवाद" नाम से एक चैनल पर नयी समाचार श्रंखला शुरू की जाती है.<BR/>ये सार्वभौमिक सत्य है की इस देश में मुस्लिम और इसाई के हित की बात करने वाला सेकुलर और हिन्दू के हित की बात करने वाला सांप्रदायिक कहलाता है. तभी कांग्रेस को बिकी मीडिया का ध्यान किदवई के भाषण पर नहीं जाता और वरुण गाँधी एक अक्षम्य अपराधी दिखने लगता है.<BR/>चाहे दक्षिण के राज्यों में इसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तसवीरें छापकर बांटी जाए या बिहार,श्रीनगर और उत्तरप्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में पाकिस्तान के झंडे फहराएं जायें तब ये छद्म सेकुलर दल और मीडिया कहाँ जाकर सो जाते हैं?<BR/>तथाकथित सेकुलर पार्टी की सरकार के बहादुर अफसर आतंकवादियों की मुठभेड़ में मारे जाते हैं और उसी के घटक दल एक समुदाय को खुश करने के लिए इनकी जांच करने की मांग करते हैं.<BR/>अल्पसंख्यको से प्रेम करना गुनाह नहीं है पर ये मीडिया और सरकार उन लाखों कश्मीरी पंडित विस्थापितों के मुद्दे पर कोई फिल्म या डॉक्युमेंटरी क्यों नहीं बनाती जिन्हें धर्म के नाम पर अपनी जन्मभूमि से खदेड़ दिया गया था?<BR/>हकीक़त तो ये है की जब कांग्रेस ने देखा की भाजपा हिंदुत्व या राष्ट्रवाद के नाम पर आगे निकल जायेगी तो इन्होने तथाकथित पिछडों (जिनकी औसत आय और संपत्ति अगडे ब्राह्मणों से बहुत ज्यादा है.) को आरक्षण देकर बहुसंख्यक समाज के टुकड़े टुकड़े कर दिए. क्या जातिवाद के नाम पर हो रही राजनीति साम्प्रदायिकता का ही स्वरुप नहीं?<BR/>अंत में मै यही कहना चाहूँगा के छद्म सेकुलर दल तो एंटी-हिन्दू और राष्ट्र विरोधी हैं जबकि हिंदुत्व तो खुद में ही सर्वधर्मसमभाव और राष्ट्रवाद निहीत किये है.<BR/>उम्मीद है वक़्त के साथ देश का हिन्दू और बाकि धर्मों को मान ने वाले भी राष्ट्रवाद की अवधारणा को समझेंगे नहीं तो अगले ५० वर्ष में देश का तालिबानीकरण शुरू हो ही जायेगा. क्यूंकि "वन्दे मातरम्" गाना किसी धर्म को नहीं देश प्रेम और संस्कारों को दर्शाता है. और हमारे जिन भाइयों ने मुग़ल शासकों के अत्याचारी काल में अपना धर्म बदल लिया था उन में भी कुछ तो धर्म की कट्टरता से दूर मातृभूमि के संस्कार होने ही चाहिए. आखिर हैं तो उनके पूर्वज भी आर्यन्स और द्रविडा ही.<BR/>वन्दे मातरम्!<BR/>जय हिंद!Vinay purohithttps://www.blogger.com/profile/15436077455877873483noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1084765739868349994.post-36004620724170356572009-03-29T10:28:00.001-07:002009-03-29T10:28:00.001-07:00ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो...ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो भावनाएं भड़का कर वोट बटोरने का ही एक तरीका है. परन्तु ये मेरे देश का और आपका और मेरा भी दुर्भाग्य ही है की इसाई मिशनरियों द्वारा फंडेड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समाचार विश्लेषण के तरीके ने इस राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज और उसकी संस्कृति, राष्ट्रवाद को छद्म सेकुलर दलों को बेचकर एक धर्म विशेष का मखोल उडाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.<BR/>जब अमरनाथ भूमि देने के विरोध में एक तथाकथित विशेष दर्जा प्राप्त राज्य का बहुसंख्यक समाज देश के बहुसंख्यक समाज के विरोध में खडा होता हैं तो वो सेकुलर दल कहाँ जमींदोज हो जाते हैं? मैं कोई पत्रकार तो नहीं न ही किसी राजनीतिक दल का अनुयायी हूँ पर दोहरी नीति जहां दिखाई पड़ती है वहां अंधों में काने का पक्ष जरूर लेता हूँ.<BR/>नरेन्द्र मोदी को 'मौत का सौदागर" कहा जाता है पर ३००० सिक्खों का कत्ले आम मचाने वाले जगदीश टाइटलर को निर्दोष साबित कर दिया जाता है क्योंकि १९८४ मैं निजी मीडिया इतनी ताकतवर नहीं थी और सरकारी मीडिया पर सरकार का नियंत्रण था.<BR/>इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से त्रस्त उपमहाद्वीप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के अधीन मीडिया के चैनल्स कहते हैं आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता. वहीँ एक साध्वी जिसके खिलाफ नार्को टेस्ट के नाकाम रहने के बावजूद ज्यादती की जाती है , उसे लेकर "हिन्दू आतंकवाद" नाम से एक चैनल पर नयी समाचार श्रंखला शुरू की जाती है.<BR/>ये सार्वभौमिक सत्य है की इस देश में मुस्लिम और इसाई के हित की बात करने वाला सेकुलर और हिन्दू के हित की बात करने वाला सांप्रदायिक कहलाता है. तभी कांग्रेस को बिकी मीडिया का ध्यान किदवई के भाषण पर नहीं जाता और वरुण गाँधी एक अक्षम्य अपराधी दिखने लगता है.<BR/>चाहे दक्षिण के राज्यों में इसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तसवीरें छापकर बांटी जाए या बिहार,श्रीनगर और उत्तरप्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में पाकिस्तान के झंडे फहराएं जायें तब ये छद्म सेकुलर दल और मीडिया कहाँ जाकर सो जाते हैं?<BR/>तथाकथित सेकुलर पार्टी की सरकार के बहादुर अफसर आतंकवादियों की मुठभेड़ में मारे जाते हैं और उसी के घटक दल एक समुदाय को खुश करने के लिए इनकी जांच करने की मांग करते हैं.<BR/>अल्पसंख्यको से प्रेम करना गुनाह नहीं है पर ये मीडिया और सरकार उन लाखों कश्मीरी पंडित विस्थापितों के मुद्दे पर कोई फिल्म या डॉक्युमेंटरी क्यों नहीं बनाती जिन्हें धर्म के नाम पर अपनी जन्मभूमि से खदेड़ दिया गया था?<BR/>हकीक़त तो ये है की जब कांग्रेस ने देखा की भाजपा हिंदुत्व या राष्ट्रवाद के नाम पर आगे निकल जायेगी तो इन्होने तथाकथित पिछडों (जिनकी औसत आय और संपत्ति अगडे ब्राह्मणों से बहुत ज्यादा है.) को आरक्षण देकर बहुसंख्यक समाज के टुकड़े टुकड़े कर दिए. क्या जातिवाद के नाम पर हो रही राजनीति साम्प्रदायिकता का ही स्वरुप नहीं?<BR/>अंत में मै यही कहना चाहूँगा के छद्म सेकुलर दल तो एंटी-हिन्दू और राष्ट्र विरोधी हैं जबकि हिंदुत्व तो खुद में ही सर्वधर्मसमभाव और राष्ट्रवाद निहीत किये है.<BR/>उम्मीद है वक़्त के साथ देश का हिन्दू और बाकि धर्मों को मान ने वाले भी राष्ट्रवाद की अवधारणा को समझेंगे नहीं तो अगले ५० वर्ष में देश का तालिबानीकरण शुरू हो ही जायेगा. क्यूंकि "वन्दे मातरम्" गाना किसी धर्म को नहीं देश प्रेम और संस्कारों को दर्शाता है. और हमारे जिन भाइयों ने मुग़ल शासकों के अत्याचारी काल में अपना धर्म बदल लिया था उन में भी कुछ तो धर्म की कट्टरता से दूर मातृभूमि के संस्कार होने ही चाहिए. आखिर हैं तो उनके पूर्वज भी आर्यन्स और द्रविडा ही.<BR/>वन्दे मातरम्!<BR/>जय हिंद!Vinay purohithttps://www.blogger.com/profile/15436077455877873483noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1084765739868349994.post-83977150387895885252009-03-29T10:28:00.000-07:002009-03-29T10:28:00.000-07:00ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो...ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो भावनाएं भड़का कर वोट बटोरने का ही एक तरीका है. परन्तु ये मेरे देश का और आपका और मेरा भी दुर्भाग्य ही है की इसाई मिशनरियों द्वारा फंडेड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समाचार विश्लेषण के तरीके ने इस राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज और उसकी संस्कृति, राष्ट्रवाद को छद्म सेकुलर दलों को बेचकर एक धर्म विशेष का मखोल उडाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.<BR/>जब अमरनाथ भूमि देने के विरोध में एक तथाकथित विशेष दर्जा प्राप्त राज्य का बहुसंख्यक समाज देश के बहुसंख्यक समाज के विरोध में खडा होता हैं तो वो सेकुलर दल कहाँ जमींदोज हो जाते हैं? मैं कोई पत्रकार तो नहीं न ही किसी राजनीतिक दल का अनुयायी हूँ पर दोहरी नीति जहां दिखाई पड़ती है वहां अंधों में काने का पक्ष जरूर लेता हूँ.<BR/>नरेन्द्र मोदी को 'मौत का सौदागर" कहा जाता है पर ३००० सिक्खों का कत्ले आम मचाने वाले जगदीश टाइटलर को निर्दोष साबित कर दिया जाता है क्योंकि १९८४ मैं निजी मीडिया इतनी ताकतवर नहीं थी और सरकारी मीडिया पर सरकार का नियंत्रण था.<BR/>इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से त्रस्त उपमहाद्वीप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के अधीन मीडिया के चैनल्स कहते हैं आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता. वहीँ एक साध्वी जिसके खिलाफ नार्को टेस्ट के नाकाम रहने के बावजूद ज्यादती की जाती है , उसे लेकर "हिन्दू आतंकवाद" नाम से एक चैनल पर नयी समाचार श्रंखला शुरू की जाती है.<BR/>ये सार्वभौमिक सत्य है की इस देश में मुस्लिम और इसाई के हित की बात करने वाला सेकुलर और हिन्दू के हित की बात करने वाला सांप्रदायिक कहलाता है. तभी कांग्रेस को बिकी मीडिया का ध्यान किदवई के भाषण पर नहीं जाता और वरुण गाँधी एक अक्षम्य अपराधी दिखने लगता है.<BR/>चाहे दक्षिण के राज्यों में इसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तसवीरें छापकर बांटी जाए या बिहार,श्रीनगर और उत्तरप्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में पाकिस्तान के झंडे फहराएं जायें तब ये छद्म सेकुलर दल और मीडिया कहाँ जाकर सो जाते हैं?<BR/>तथाकथित सेकुलर पार्टी की सरकार के बहादुर अफसर आतंकवादियों की मुठभेड़ में मारे जाते हैं और उसी के घटक दल एक समुदाय को खुश करने के लिए इनकी जांच करने की मांग करते हैं.<BR/>अल्पसंख्यको से प्रेम करना गुनाह नहीं है पर ये मीडिया और सरकार उन लाखों कश्मीरी पंडित विस्थापितों के मुद्दे पर कोई फिल्म या डॉक्युमेंटरी क्यों नहीं बनाती जिन्हें धर्म के नाम पर अपनी जन्मभूमि से खदेड़ दिया गया था?<BR/>हकीक़त तो ये है की जब कांग्रेस ने देखा की भाजपा हिंदुत्व या राष्ट्रवाद के नाम पर आगे निकल जायेगी तो इन्होने तथाकथित पिछडों (जिनकी औसत आय और संपत्ति अगडे ब्राह्मणों से बहुत ज्यादा है.) को आरक्षण देकर बहुसंख्यक समाज के टुकड़े टुकड़े कर दिए. क्या जातिवाद के नाम पर हो रही राजनीति साम्प्रदायिकता का ही स्वरुप नहीं?<BR/>अंत में मै यही कहना चाहूँगा के छद्म सेकुलर दल तो एंटी-हिन्दू और राष्ट्र विरोधी हैं जबकि हिंदुत्व तो खुद में ही सर्वधर्मसमभाव और राष्ट्रवाद निहीत किये है.<BR/>उम्मीद है वक़्त के साथ देश का हिन्दू और बाकि धर्मों को मान ने वाले भी राष्ट्रवाद की अवधारणा को समझेंगे नहीं तो अगले ५० वर्ष में देश का तालिबानीकरण शुरू हो ही जायेगा. क्यूंकि "वन्दे मातरम्" गाना किसी धर्म को नहीं देश प्रेम और संस्कारों को दर्शाता है. और हमारे जिन भाइयों ने मुग़ल शासकों के अत्याचारी काल में अपना धर्म बदल लिया था उन में भी कुछ तो धर्म की कट्टरता से दूर मातृभूमि के संस्कार होने ही चाहिए. आखिर हैं तो उनके पूर्वज भी आर्यन्स और द्रविडा ही.<BR/>वन्दे मातरम्!<BR/>जय हिंद!Vinay purohithttps://www.blogger.com/profile/15436077455877873483noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1084765739868349994.post-33127691867127200082009-03-29T10:26:00.000-07:002009-03-29T10:26:00.000-07:00ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो...ये सत्य ही है की वरुण गाँधी ने जो कुछ भाषण दिया वो भावनाएं भड़का कर वोट बटोरने का ही एक तरीका है. परन्तु ये मेरे देश का और आपका और मेरा भी दुर्भाग्य ही है की इसाई मिशनरियों द्वारा फंडेड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समाचार विश्लेषण के तरीके ने इस राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज और उसकी संस्कृति, राष्ट्रवाद को छद्म सेकुलर दलों को बेचकर एक धर्म विशेष का मखोल उडाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.<BR/>जब अमरनाथ भूमि देने के विरोध में एक तथाकथित विशेष दर्जा प्राप्त राज्य का बहुसंख्यक समाज देश के बहुसंख्यक समाज के विरोध में खडा होता हैं तो वो सेकुलर दल कहाँ जमींदोज हो जाते हैं? मैं कोई पत्रकार तो नहीं न ही किसी राजनीतिक दल का अनुयायी हूँ पर दोहरी नीति जहां दिखाई पड़ती है वहां अंधों में काने का पक्ष जरूर लेता हूँ.<BR/>नरेन्द्र मोदी को 'मौत का सौदागर" कहा जाता है पर ३००० सिक्खों का कत्ले आम मचाने वाले जगदीश टाइटलर को निर्दोष साबित कर दिया जाता है क्योंकि १९८४ मैं निजी मीडिया इतनी ताकतवर नहीं थी और सरकारी मीडिया पर सरकार का नियंत्रण था.<BR/>इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से त्रस्त उपमहाद्वीप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के अधीन मीडिया के चैनल्स कहते हैं आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता. वहीँ एक साध्वी जिसके खिलाफ नार्को टेस्ट के नाकाम रहने के बावजूद ज्यादती की जाती है , उसे लेकर "हिन्दू आतंकवाद" नाम से एक चैनल पर नयी समाचार श्रंखला शुरू की जाती है.<BR/>ये सार्वभौमिक सत्य है की इस देश में मुस्लिम और इसाई के हित की बात करने वाला सेकुलर और हिन्दू के हित की बात करने वाला सांप्रदायिक कहलाता है. तभी कांग्रेस को बिकी मीडिया का ध्यान किदवई के भाषण पर नहीं जाता और वरुण गाँधी एक अक्षम्य अपराधी दिखने लगता है.<BR/>चाहे दक्षिण के राज्यों में इसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तसवीरें छापकर बांटी जाए या बिहार,श्रीनगर और उत्तरप्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में पाकिस्तान के झंडे फहराएं जायें तब ये छद्म सेकुलर दल और मीडिया कहाँ जाकर सो जाते हैं?<BR/>तथाकथित सेकुलर पार्टी की सरकार के बहादुर अफसर आतंकवादियों की मुठभेड़ में मारे जाते हैं और उसी के घटक दल एक समुदाय को खुश करने के लिए इनकी जांच करने की मांग करते हैं.<BR/>अल्पसंख्यको से प्रेम करना गुनाह नहीं है पर ये मीडिया और सरकार उन लाखों कश्मीरी पंडित विस्थापितों के मुद्दे पर कोई फिल्म या डॉक्युमेंटरी क्यों नहीं बनाती जिन्हें धर्म के नाम पर अपनी जन्मभूमि से खदेड़ दिया गया था?<BR/>हकीक़त तो ये है की जब कांग्रेस ने देखा की भाजपा हिंदुत्व या राष्ट्रवाद के नाम पर आगे निकल जायेगी तो इन्होने तथाकथित पिछडों (जिनकी औसत आय और संपत्ति अगडे ब्राह्मणों से बहुत ज्यादा है.) को आरक्षण देकर बहुसंख्यक समाज के टुकड़े टुकड़े कर दिए. क्या जातिवाद के नाम पर हो रही राजनीति साम्प्रदायिकता का ही स्वरुप नहीं?<BR/>अंत में मै यही कहना चाहूँगा के छद्म सेकुलर दल तो एंटी-हिन्दू और राष्ट्र विरोधी हैं जबकि हिंदुत्व तो खुद में ही सर्वधर्मसमभाव और राष्ट्रवाद निहीत किये है.<BR/>उम्मीद है वक़्त के साथ देश का हिन्दू और बाकि धर्मों को मान ने वाले भी राष्ट्रवाद की अवधारणा को समझेंगे नहीं तो अगले ५० वर्ष में देश का तालिबानीकरण शुरू हो ही जायेगा. क्यूंकि "वन्दे मातरम्" गाना किसी धर्म को नहीं देश प्रेम और संस्कारों को दर्शाता है. और हमारे जिन भाइयों ने मुग़ल शासकों के अत्याचारी काल में अपना धर्म बदल लिया था उन में भी कुछ तो धर्म की कट्टरता से दूर मातृभूमि के संस्कार होने ही चाहिए. आखिर हैं तो उनके पूर्वज भी आर्यन्स और द्रविडा ही.<BR/>वन्दे मातरम्!<BR/>जय हिंद!Vinay purohithttps://www.blogger.com/profile/15436077455877873483noreply@blogger.com