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Friday, August 28, 2009

अपने पेन ड्राइव उपयोग रैम की तरह करे



हम सभी सुविधाजनक उपयोगिता के लिए पेन ड्राइव उपयोग करते है अगर आप अपने पेन ड्राइव का उपायों कंप्यूटर की गति बढ़ने के लिए करना कहते है तो बस निचे लिखे निर्देशों का पालन करिए और बन जायेगा आपका पेन ड्राइव रैम .यह आपके PC की गति और प्रदर्शन क्षमता बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त परत के रूप में फ़्लैश मेमोरी और मुक्त रैम का प्रयोग करेगा जिससे आपके PC के लिए कैश मेमोरी में बढ़त होगी आपके पास अधिकतम चार सस्ती पेन ड्राइव हो तो अपने कम्प्यूटर की गति को

आश्चर्य जनक रूप से तीव्र बना सकते है और आपको मँहगी RAM नहीं ख़रीदनी पड़ेगी।
  • Vista ReadyBoost है और SuperFetch लाभ अब आपके Windows XP PC पर;
  • अधिक तेज़ कम्प्यूटर और अधिक प्रयोग किए जा रहे साफ्टवेयर के लिए फाइलों की कैशिंग;
  • दोनों USB और Non-USB (हटाये जा सकने वाले मीडिया उपकरणों (CF, एसडी / SDHC, MMC,और अन्य मेमोरी कार्ड का) के साथ उपयोग में लाया जा सकता है, साथ ही साथ अतिरिक्त हार्ड डिस्क(xD) के साथ भी काम करता है;
  • अधिकम 4 USBs के साथ स्मार्ट कैशिंग की अनुमति देता है;
  • HD के फाइल सिस्ट्म का कैशिंग आकार 4GB तक हो सकता है; NTFS आकार पर कोई सीमा नहीं है
  • सभी "ReadyBoost" उपकरणों के साथ काम करता है यानि 'Enhanced for ReadyBoost' को support करता है
अधिक जानकारी के लिए और साफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए जा रहे पते पर क्लिक करें।
अधिक जानकारी: http://www.eboostr.com/
साफ्टवेयर डाउनलोड eBoostr

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Wednesday, August 26, 2009

झोलाछाप डाँ की करतूत


अभी साधना न्यूज़ सीडी मामला शांत भी नहीं हुआ की फिर से राजधनी को एक सीडी मामले ने गरमा दिया इस बार करतूत एक डाँ की थी वही डाँ जो भगवान तुल्य होता है और विश्वाश इंतना की कई बार अन्दुरुनी बाते भी उन्हें बतानी पड़ती है कहते है की डाँ और वकील से कुछ नहीं छुपाना चाहिए वर्ना नुकसान अपना ही करेगे पर अब ऐसे डाँ भी देखने मिल रहे है जिनसे बात तो क्या उनकी नजरो से भी ओरतो को बचा के रखना पड़ेगा . छत्तीसगढ , राजधानी रायपुर से समीपस्थ अडसेना [ सारागांव ] में एक ऐसा ही मामला सामने आया है पुलिस ने गाँव में संचालित निजी किलिनिक में छापा मार दो लोगो को गिरफतार किया विगत ११ साल से डाँ के पेशे से जुडा यह व्यक्ति झोला छाप डाँ बताया जा रहा है . कम्पूटर , कैमरा , पेन ड्राइव और तकनिकी संसाधनों से लैस यह डाँ महिला मरीजो को इलाज के बहाने बुला उनकी अश्लील रिकार्डिंग करता था . आरोपी डाँ और उसका भाई इस काम में लिप्त बताये जा रहे है .ब्राम्हणपारा निवासी डाँ आशीष शर्मा पर गाँव वालो को उस समय शक हुआ जब एक लड़की को अपने किलनिक बुलवाया जो सरपंच तेजपाल की बेटी थी पिता को शक होते ही पुलिस को सुचना पश्चात् हैरत में डालने वाले तथ्य सामने आये जाँच में आरोपी डाँ के कंप्युटर में से बहुत से महिला मरीजो की अश्लील फिल्म बनी बरामद हुई जिससे सभी हैरत में पड़ गए
बहरहाल बड़े नर्सिंग होम और डाँ को छोड़ कर झोलाछाप डाँ पर कार्यवाही कर पुलिस अपनी पीठ खुद ही थपथपा रही है , हाल ही में एक और नर्सिंग होम में कार्यरत कर्मचारी द्वारा चेंजिंग रूम में कैमरे से अश्लील रिकार्डिंग की घटना के बाद अब ये दूसरी घटना है जिसमे डाँ पेशा , और नर्सिंग होम भी अश्लील फिल्म बनाने की वारदातों से जुड़ते नजर आ रहे है गौरतलब बात यह भी है की छत्तीसगढ के सुदूर वनाच्लो , बीहड़ जहा वैसे ही सरकार और अस्पताल कम ही दिखाई पड़ते है और सरकार का बेहतर स्वास्थ सेवाए उपलब्ध करने का दावा सिर्फ विजापन तक ही सिमट जाता है , वहा ग्रामीण इन्ही झोलाछाप डाँ की मदद से स्वास्थ सेवा लेते थे . हाल ही में सरकार ग्रामीणों को इन्ही झोलाछाप डाँ के बलबूते बेहतर स्वास्थ सेवा मुहैया करने के सब्जबाग दिखा रही थी अब वो भी बिखरता नजर आ रहा है झोलाछाप डाँ से शोसित ग्रामीणों के बिखरे विश्वाश को सरकार पुनः बना ग्रामीणों को कैसे स्वास्थ सेवा मुहैया करायेगी ये सरकार के लिए चुनौति से कम नहीं

Tuesday, August 25, 2009

कही आप ३५० रु किलो का खड्डा तो नहीं खरीद रहे है ?


मिठाइयों का मौसम है और ऐसे में भला मै आपसे कहू की आप ३५० रु किलो का खड्डा तो नहीं खरीद रहे है ?तो आप हैरान हो जायेगे पर ये सच है की आप १५० से लेकर ३५० या ४५० रु किलो का खड्डा खरीद रहे है
अभी भी मेरी बात पर आपको विश्वाश नहीं तो याद कीजिये जब आप किसी दुकान में मिठाई लेने गए हो और आप ने सहज ही मिठाई पसंद की, भावः पूछा और मिठाई ले ली होगी बस फिर क्या खरीद लिया ना आपने ३५० रु किलो में मिठाई की जगह खड्डा .जी हा जिस खड्डे के डब्बे में वह मिठाई रख के वजन की जा रही है उस खड्डे के डब्बे का वजन भी मिठाई के भावः में तुल गया हो सकता है की उसका वजन कही कम भी हो पर सुन्दरता और आकर्षक डिब्बो की बात करे तो उनका वजन १०० ग्राम से लेकर १५० ग्राम तक देखा गया है अब आप ही बताये ? की आप खरीद लिया ना ३५० रु किलो का खड्डा ?
जबकि प्रसाशन के निर्देश अनुसार मिठाई अलग से वजन की जानी चाहिए और उसके बाद उसे डब्बे में डाल पैक करना चाहिए लेकिन ये खाद्य विभाग का तोहफा ही है जो हर त्योहार पर या यु कहे की जब भी हम मिठाई लेते है हमें विभाग की ओर से मुफ्त मिल रहा है

साधना न्यूज़ चैनल पर मामला पंजीबद्ध



आम हो चली मानहानि की प्रक्रिया के विपरीत यह पहला वाक्या है जब किसी रीजनल चैनेल के विरूद्व पुलिस में मामला पंजीबद्ध करने की धटना ने छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में हलचल पैदा कर दी है जिसे लेकर जहा देखो वहा यही बात सुनने मिल रही है की खबर बनाने वाले, आज खुद खबर बन गए, दरसल मामला छत्तीसगढ में संचालित रीजनल चैनेल साधना न्यूज़ से जुडा है
जब उन्होंने प्रधनामंत्री रोजगार सड़क योजना के नवपदस्थ मुख्य कार्य पालन अधिकारी ऍम एल हलधर और उनकी पत्नी के बेडरूम अन्तरंग संबंधो की सीडी चैनेल में यह कह कर प्रसारित की की उक्त व्यक्ति खुद की अश्लील सिडी बना मार्केट में बेच रहा है , ४० मिनिट की अन्तरंग अश्लील सिडी के कुछ अंश प्रसारित कर चैनल ने इस बात का भी दावा किया की उक्त ब्लू फिल्म की बहुत सीडी मार्केट में बिक चुकी है और इसे अपराधिक बताते हुए अधिकारी के खिलाफ ब्लू फिल्म बनाने का आरोप लगते हुए कार्यवाही की बात कही. उक्त सीडी के प्रसारण उपरांत अधिकारी ने निकटम थाना क्षेत्र में न्याय की गुहार लगते हुए साजिश , उगाही और अश्लील प्रदर्शन अर्न्तगत मामला पंजीबद्ध कराया है

Sunday, August 23, 2009

प्राध्यापक के सर चढ़ा पत्रकारिता


कहा जाता है या एक आम धारणा सी बन गई है कि जिसे कहीं ठौर-ठिकाना नहीं मिलता वह पत्रकार का लबादा पहन लेता है। लेकिन ठीक इसके विपरीत है अनिल कुमार मानिकपुरी, की जिंदगी की चौखट के इर्द-गिर्द घूमती किस्सा गोई का ?

अपनी प्राध्यापकी की मखमली लिबास पर पत्रकारिता या पत्रकार होने का पैबंद लगा इस शख्स ने जो कारनामें किये उसे देख यही लगता है, कि मानिकपुरी की हसरतों में बिना कुछ किये ही चांदी की फसलें काटने का शगल अब उनकी लत बन चुकी है।

मानिकपुरी ने एक जगह अपने जीवन वृत्तांत में अध्यापन का अनुभव 10 वर्ष और पत्रकारिता का 3 वर्ष... दो दिशाओं में बटे पढ़ाई-लिखाई के घालमेल यही इंगित करता है कि मानिकपुरी ने तो शिक्षा ली और शिक्षा दी। इतना ही नहीं 24 घंटे में मानिकपुरी द्वारा अपने कार्यों या क्रियाकलाप की जो जानकारी दी गई है उसमें इस तथ्य का जिक्र किया गया है कि वे लोक-रंग और समाज सेवा भी करते हैं। यानि एक शख्स के रंग हजार और हजार हाथ से सब बटोरने में भी उन्हें महारथ है।

दरअसल साजा के कुछ लोगों की राय मानिकपुरी के कद-काठी की जो मुकम्मल तस्वीर बनाती है वह हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा होत जात कहावत के ताना-बाना को बुनती है। लोगों का कहना है कि इतना बोझ है कि तब वे किस सेवा को कब और कैसे अमली जामा पहनाते हैं। न तो पढ़ाने में ध्यान और न ही लिखाई में। अपने सेवा कार्य में इजाफा करते हुए मानिकपुरी ने अब इलेक्ट्रानिक मीडिया अर्थात् केवल कार्ड नहीं बल्कि कंधे पर कैमर, माइक भी लाद लिया है। अब वे बच्चों को राष्ट्र का नागरिक होने का कहकश नहीं सीखाते बल्कि निकल पड़ते हैं बाइट (इंटरव्यूह) लेने के लिए...। मानिकपुरी ये सारा कार्य बड़ी सहजता से करते हैं.... उछल-कूद, धमाचौकड़ी में यह सब उनकी सिद्धता को ही उजागर करता है। उनकी अभिरुचि भी बेमिसाल है। रंगकर्म, लेखन, साहित्य, अध्ययन, संगीत की तमाम विधा में उनका हस्तक्षेप है, मगर पगार लेने वाली संस्था में वे हस्ताक्षर करने के बाद उसकी जिम्मेदारी का निर्वहन कब और कैसे करते हैं यह वे खुद ही बता सकते हैं। लोग तो यह भी कहते हैं कि मानिकपुरी अपने कार्यों, समाजसेवा सहित मूलपेशे का जो उल्लेख कागजों पर करते हैं उसको पूरा करने के तरीके का भी खुलासा वे कर दे तो मैनेजमेंट गुरु रघुरमन का भी मंत्र फीका पड़ सकता है।

मानिकपुरी के कार्य क्षमता को लोग दाद देते हैं कि वे हर चीज को दगा दे। दूसरे काम का दामन कितनी जल्दी थाम लेते हैं। बताया जाता है कि वे हर काम को हाथ में लेने के पहले इस बात का काफी ठोक पीटकर अंदाजा लगा लेते हैं कि किया जाने वाला सेवा कितना मेवा देगा। मूलधन तो जीरो पर उनकी निगाह सूद पर हमेशा टिकी रहती है जैसे अर्जुन की आंखे मछली पर सधी रहती थी।

मानिकपुरी की अभिरुचि का दायरा केवल दो-चार शब्दों में ही खत्म नहीं होता। हरि अनन्त, हरिकथा अनन्त, हरिकथा अनन्ता की तरह ही उनकी रुचियों की फेहरिस्त है।

पर्यटन और कला भी उनसे अछूते नहीं है। बकायदा बोलरो से वे उन्हीं महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा करते हैं जहां हरियाली बिछी और कला उनकी पास इतनी है कि आर्ट ऑफ लिविंग का दर्शन भी उनके सामने बौना हो जाता है।

अलंकरण- विशेषणयुक्त यह शख्स जिसमें कि हर गुण शुमार हैं निश्चित ही आप दर्शन के अभिलाषी हो तो बेमेतरा तहसील के साजा गांव में अनिल कुमार मानिकपुरी आपको सहज ही मिल सकते हैं। यकीन मानिये... आप भी उनसे कला के कई नायाब तरीके बिना पढ़े ग्रहण कर सकते हैं।



पेशा- संविदा सहायक प्राध्यापक

शौक- पत्रकारिता

जुनून- पर्यटन, संगीत, रंगकर्म सहित समाज की बेहतरी।

Monday, August 17, 2009

नए फ्लेवर में नशे के बाजीगर परोस रहे है धुम्रपान का सामान " हुक्का रेस्टोरेंट "



आप सभी को याद होगी गाँधी जयन्ती 2 अक्तूबर, 2008 से पूरे देशभर में अधिसूचना जारी कर ‘सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान’ को प्रतिबंधित कर सरकार ने धुम्रपान करने वालो की शामत ला दी थी ,आज वही सरकार धूम्रपान की हिमायती बन नशे के बाजीगर के साथ मिल कर लोगों की जेबे निचोड़ने नए जुगाड़ में लगी है ऐसा मै नहीं कहता सरकारी आदेशो की धज्जिया उडाते , नियम कानून को ताक पर रख मुह चिढ़ते " हुक्का रेस्टोरेंट " जो हिन्दुस्तान के पाश ईलाके से लेकर ,गली कूचो में धड्ले से चलाये जा रहे उनको देख के तो कम से कम यही कहा जा सकता है , जब हर तरफ धूम्रपान’ के प्रतिबंधित का प्रयास कर स्मोक फ्री जोन बनाने की पहल जा रही हो ऐसे में खुले आम " रेस्टोरेंट " की आड़ में " हुक्का रेस्टोरेंट " स्मोक फ्री जोन बनाने की बात करने और प्रयास में जुटे लोगो के मुह में तमाचा है
गाँधी जयन्ती 2 अक्तूबर, 2008 से पूरे देशभर में अधिसूचना जारी कर जीएसआर 417 (ई) दिनांक 30 मई, 2008 के अनुरूप केन्द्र सरकार ने ‘सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान’ से संबंधित नियम संशोधित करके पूर्णत लागू कर दिया है। स्मोक फ्री बनाने के उद्देश्य से संशोधित नियमों के अन्तर्गत सभी सार्वजनिक स्थानों पर सख्ती से निषिद्ध है।
‘सार्वजनिक स्थलों’ में आडिटोरियम, अस्पताल भवन, स्वास्थ्य स्थान, मनोरंजन केन्द्र, रेस्टोरेंट, सार्वजनिक कार्यालय, न्यायालय भवन, षिक्षण संस्थान, पुस्तकालय, सार्वजनिक यातायात स्थल, स्टेडियम, रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, कार्यषाला, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, रिफ्रेशमेंट रूम, डिस्को, कॉफी हाऊस, बार, पब्स, एयरपोर्ट लॉज आदि शामिल किए गए हैं। इस एक्ट के तहत जो भी व्यक्ति उल्लंखन करेगा उस पर 200 रूपये के आर्थिक दण्ड के साथ दंडात्मक कार्यवाही करने का प्रावधान किया गया है। इस एक्ट के तहत यह भी प्रावधान किया गया है कि जिन होटलों के पास 30 या अधिक रूम अथवा रेस्टोरेंट के पास 30 व्यक्तियों की क्षमता की सीट अथवा अधिक तथा एयरपोर्ट को अलग धूम्रपान क्षेत्र अथवा जगह, नियमों के द्वारा जैसा आवष्यक हो को प्रदान/रखना होगा। अधिनियम के तहत मालिक, प्रोपराइटर, प्रबन्धक, सुपरवाइजर अथवा सार्वजनिक स्थानों के मामलों के प्रभारी यह सुनिष्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान न करें, अधिनियम की अनुसूची-2 में वर्णितानुसार बोर्ड महत्वपूर्ण स्थलों तथा सार्वजनिक स्थल के प्रवेश द्वारों पर विषेष रूप से नियमों को प्रदर्षित करें और धूम्रपान हेतु दी जो वाली एस्टेªज, माचिस, लाइटर तथा अन्य सामान सार्वजनिक स्थल में मुहैया नहीं कराई जाएगी।
अमेरिका, यूएई, दुबई, फ्रांस सहित कई बड़े देशों में प्रतिबंधित नशा शीशा चुपके-चुपके हिंद्दुस्तान में पैठ जमा चुका है। नशेड़ियों के आम ठिकानों से इतर यह हुक्का आलीशान रेस्टोरेंट में खुलेआम परोसा जा रहा है। इसका नजारा छत्तीसगढ के गली कूचो पाश ईलाकों में आसानी से देखा जासकता है जाहिर है इसके शौकीन मोटी जेब वाले ही हैं।
हर कश में लगभग 4 हजार रसायन वाला शीशा का हुक्का डॉक्टरों के अनुसार भी अत्यधिक घातक है , जिसके ४३ रसायन घातक यानी कैंसर कारक होते हैं। जैसा कि उन्होंने बताया, किसी रेस्तरां, होटल या अन्य कहीं भी शीशा का धूम्रपान कर रहे व्यक्ति के साथ पास बैठे लोगों को भी कई घातक रोग लग सकते हैं।
गौरतलब है की भारत में तत्कालीन यूनियन हेल्थ मिनिस्टर अंबूमणि रामदास ने डबल्यूसीटीओएच की चौदहवीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सार्वजनिक स्थानों, होटलों, बीयर बारों और रेस्तरां में इस तरह के नशे को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और कई वैज्ञानिक प्रमाणित कर चुके हैं कि शीशा की लत छोड़ना हेरोइन और कोकीन से भी ज्यादा कठिन है।
बावजूद इसके नशे के बाजीगर ने लोगों की जेब निचोड़ने नए जुगाड़ के साथ " हुक्का रेस्टोरेंट " को बाजार में उतरा । शान से हुक्का गुड़गुड़ा रहे लोगो को मालूम नहीं है कि धुएं के साथ उनकी रगों में अरब मुल्कों से आया वहां का पुराना नशा ‘शीशा’ घुल रहा है, जो फेफड़ों के कैंसर जैसी घातक बीमारी का सबब भी बन सकता है। हालात से बेखबर पुलिस और प्रशासन की उदासीनता के चलते नया धंधा आसानी से चांदी काटने का जरिया बन गया है। विदेशों में इस तरह का नशा मुहैया कराने वाले रेस्तरां कारोबारियों के खिलाफ एंटी ड्रग्स कानून के तहत कार्रवाई के सख्त निर्देश हैं। जानकारों की मानें तो यहां शातिर लोगों ने इसका तोड़ भी फ्लेवर्ड शीशे के रूप में निकाल लिया है। मैलेशिश (शीरा) के साथ टेबोनल या मसाल या जर्क के गर्म होने पर शीशा तैयार होता है। टेबोनल, जर्क और मसाल निकोटीन व तंबाकू युक्त पदार्थ हैं।

कैसे बनता है शीशा
विशेषज्ञ बताते हैं मैलेशिश (शीरा) को हुक्के के जार में भरकर ऊपर रखी प्लेट में टेबोनल या मसाल या जर्क डाला जाता है। फिर इसे नीचे लगे बर्नर से गर्म कर किया जाता है। हुक्का पाइप से यह कश शीरा में होता हुआ पीने वाले के मुंह तक पहुंचता है। बॉडी वाल्व से सैट करके इसे खींचने की मात्रा को कम या ज्यादा किया जा सकता है।
बहरहाल शहर में शीशा कई नए फ्लेवर में परोसा जा रहा है यह नाश ,इसमें वनीला, नारियल, गुलाब, जैसमीन, शहद, आम, स्ट्राबेरी, तरबूज, पुदीना, मिंट, चेरी, नारंगी, रसभरी, सेब, एप्रीकोट, चाकलेट, मुलेठी, काफी, अंगूर, पीच, कोला, बबलगम और पाइनएपल आदि शामिल हैं। और ये फ्लेवर ही तो है । लाइट नशा है, नुकसानदायक नहीं है। इस दलील के साथ लोगों को हुक्के , धुम्रपान की और अग्रेषित किया जाना और लत का शिकार बनाना कहा तक सही है जबकि केंद्र और विश्व स्तर पर धुम्रपान छुडाने के लिया अथक प्रयास किये जा रहे है सब कुछ जानकर भी लोग इसके शिकार हो रहे हैं,ये कैसा भारत है ये कैसी आजादी , पुरे विश्व में जो प्रतिबंधित हो वह हिन्दोस्तान की शान बन रही और शिकार हो रहे है हिन्दोस्तान की युवा पीढी जिसे नेहरु से लेकर गाँधी सवारने और सजोये रखने की बात कहते आये क्या ये क्या हुक्का रेस्टोरेंट जायज है ।

जवाब आपका

अपनी राय या विचर जरुर भेजे

यदि किसी रेस्तरां या सार्वजनिक स्थान में ऐसा हो रहा हो तो शिकायत करें।यदि किसी रेस्तरां या सार्वजनिक स्थान में ऐसा हो रहा हो तो शिकायत करें। छोटे बच्चों को यदि कोई व्यापारी या रेस्तरां संचालक तंबाकू या इससे जुड़े उत्पाद दे रहा है तो उसके खिलाफ शिकायत जरूर करें

Friday, August 14, 2009

आज का सवाल


आज का सवाल :- क्या हम आजादी का पर्व परंपरा में मानते है, पवित्र मन से ?
"मानवता का हो गया अस्त, फिर भी १५ अगस्त "
आपके विचार आमंत्रित है
cg4bhadas.com

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एंव शुभकामनायें.. जय हिंद.. जय भारत..


चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं मैं प्रेमी माला में
बिंधप्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं सम्राटों के शव पर,
हे हरि डाला जाऊँ

चाह नहीं देवों के सर पर चढूँ,
भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना बन-माली,
उस पथ पर देना तुम फेंक

मात्रभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जायें वीर
अनेक!
माखन लाला चतुर्वेदी की ईन पंक्तियों को याद करते हुए जब एक पुलिस अधिकारी से अनायास देशभक्ति के माहोल में जब वन्देमातरम की.......
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Sunday, August 9, 2009

इनके बाद ये सौभाग्य किसे मिलेगा.....


इनके बाद ये सौभाग्य किसे मिलेगा.....
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

स्वाइन फ्लू के कहर से बेखबर छत्तीसगढ सरकार



सतर्कता के दावे के बावजूद स्वाइन फ्लू ने देश को झकझोर कर रख दिया और देश भर में स्वाइन फ्लू संक्रमण के मामलो और उससे होने वाली मृत्यु में इजाफा जारी है .जिसके चलते देश में स्वाइन फ्लू की चपेट में आए लोगों की तादाद 711 तक पहुंच गई है.

आसानी से पकड में नहीं आने वाली की स्वाइन फ्लू की जांच और दवाई दोनों ही काफी महगी है अगर हम इसे अपने प्रदेश छत्तीसगढ के सन्दर्भ में देखे तो आर्थिक रूप से पिछडे हमारे प्रदेश में ग्रामीण अंचलो में सामान्य बीमारी से निपटने लिए नियमित डाँ नहीं , ऐसे में स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारी से निपटाना तो दूर की बात है संक्रमण से फैलाने वाले स्वाइन फ्लू के लिए बिग बी अमिताभ बच्चन जैसे महानायक ने चिंता जाहिर करते हुए मीडिया से अपील की है कि वह देशवासियों को इसके खतरे से बचाने का अभियान चलाएं जिसमें वह स्वयंसेवक की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। पर इन सब से बेखबर छत्तीसगढ सरकार को शायद इस बात का इंतजार है यहाँ पहले स्वाइन फ्लू संक्रमण का मामला तो सामने आये . जिसके चलते लाखो रु विज्ञापन पर खर्च कर जनता को अपने बखान गिनाते नहीं थकने वाली छत्तीसगढ सरकार स्वाइन फ्लू जैसे संक्रमित बीमारी से बचाव के या जन जाग्रति से कोसो दूर है वैसे अच्छी खबर यह है की अभी तक छत्तीसगढ में स्वाइन फ्लू ने दस्तक नहीं दी है और संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है पर यह सरकारी उदासीनता और जागरूकता के आभाव के चलते भी संभव है
बहरहाल साक्षरता में पिछडे इस प्रदेश में समय रहते स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा घातक बीमारी से बचाव , जागरूकता की पहल नहीं की गई तो हो सकता है की इसके परिणाम धातक हो और बहुतो को स्वाइन फ्लू का कहर लील जाये जिसकी भरपाई फिर ना की जा सके
http://bhadas4cg.com/index.php?option=com_content&view=article&id=148:2009-08-09-09-37-10&catid=41:2009-03-24-16-08-12&Itemid=62

Thursday, August 6, 2009

बी स एन ल करेगा अब आपके घर के पास में ही वसूली : बिल की


आज सबेरे अखबार में पढ़ा की भारत संचार निगम लिमिटेड याने बी स एन ल छत्तीसगढ में नई योजना शुरू करने जा रही है जिसका कहना कुछ ऐसा है बिल बुगतान की असुविधा को ख़त्म करने के लिए बी स न ल ने किसी निजी कंपनी से करार कर बहुतायत में बिल भुगतान या यु कहे की आपके घर के आस पास ही वसूली सेंटर खोलने का निर्णय लिया है जिसके लिए जगह - जगह काउंटर खोलने का प्रावधन भी है पर वो ये भूल गए की वे अपना ध्यान वसूली से हटा कर सुविधा देने पर भी लगते तो शायद उपभोक्तो को राहत मिलती ४०% कनेक्शन तक पहुच चुकी भारत संचार निगम लिमिटेड में ब्राड बैंड याने इंटरनेट ने फिर जान फुक दी और वो फिर से हरा भरा हो लहलहा उठा , बावजूद उसके आज भारत संचार निगम लिमिटेड ब्राड बैंड का कनेक्शन बाटने तक ही सीमित है . ब्राड बैंड की स्पीड और लिंक फेल जैसी परेशानी से आज हर कोई वाकिफ है तो सुविधा और सर्विस से कोसो दूर उपरोक्त न्यूज़ सुनने मिले तो यही कहा जा सकता है की बी स एन ल ने भी छत्तीसगढ को सरकारी कर्मचारी की तरह दुधारू गाय ही समझ लिया है और ठेकेदारी प्रथा में विश्वाश रखने वाले बी स एन ल के शीर्ष अधिकारियो ने फिर से एक नया शगूफा छोड़ दिया
बहरहाल बी स एन ल की कार्य प्रणाली किसी से छुपी नहीं है तो उन्हें मेरा सुझाव यह है की अगर कनेक्शन बाटने के बाद सुविधा याने सर्विस पर भी तवज्जो दे और जहा वे घर के पास बिल जमा करने के लिए काउंटर खोलने की बात कर रहे है क्या वे उसी तरह घर के पास ही उपभोक्ता के कम्प्लेंट भी सुनेगे या उसे अनदेखा कर देगे मतलब वसूली के लिए पास में काउंटर खोल रहे तो उसी तरह कम्पलेंट और सुविधा के लिए भी सुलभ पहुच किसी व्यवस्था का कोई प्रावधान है की बस यु ही .........................

Saturday, August 1, 2009

इंजिनयरिंग कालेजो के प्रचार के नए हथकंडे


छत्तीसगढ में थोक के भावः खुल रहे इंजिनयरिंग कालेजो को देख चिंता लाजमी है लगभग ५० की संख्या पार कर चुके इन इंजिनयरिंग कालेजो ने काउंसलिंग में छात्रों को लुभाने प्रचार का नया तरीका इजात किया है हैरत में डालने वाले इस नए तरीके से इंजिनयरिंग में प्रवेश हेतु काउंसलिंग में आये छात्रों और उनके माता पित्ता को प्रोतसाहित तो किया जाता है और उन्हें पता भी नहीं चलता आप भी इसे सुनने के बाद हैरत में पड़ जायेगे या हो सकता है आप में से भी किसी का इनसे सामान हुआ हो
दरसल बात कुछ ऐसी है की मेरे करीबी रिश्तेदार के बच्चे के प्रवेश इंजिनयरिंग में कराने मेरा सामना इंजिनयरिंग प्रवेश में होने वाली काउंसलिंग से पड़ा मेरा जाना लाजमी था सब कुछ तय था की हमें किस कालेज और किस ब्रांच में अड्मिशन लेना है उसका एक और कारण था की मेरे एक रिलेटिव जो मेरे करीब में है उनका इंजिनयरिंग कालेज है और संस्थान की रिपोर्ट और रेंकिंग भी ठीक है अब भला कोई घर का कालेज छोड़ बहार क्यों अड्मिशन लेगा फिर भी हमने सारे आप्शन खुले रखे थे क्यों की सवाल कैरियर से जुडा था और कालेज ४ साल ही काम आएगा पर ब्रांच जीवन भर सो हम सभी मानसिक तौर से तैयार हो अपनी पारी का इंतजार करने लगे 2nd पारी में होने वाली काउंसलिंग से पहले पहुच स्थिति का जायजा लिया और परिसर में ही रुककर पहले से चल रही काउंसलिंग और ऊससे भरने वाली सीटो का आकलन करते रहे हम वही आस पास काउंसलिंग में आये लोगो से भी चर्चा कर सलाह मश्बरा कर रहे थे एक और लड़की बाजु में ही खड़ी थी उसने भी आकर हमसे बात की बताया की वो अपने छोटे भाई का इंजिनयरिंग में अड्मिशन कराने आई है और इस तरह चर्चा को आगे आगे बढ़ते हुए हम सभी ने अपनी सुचानावो - जानकारी का आदान प्रदान किया इस बीच उसमे अपने छोटे भाई का अड्मिशन अमुख कालेज में क्यों और उसके फायदे के बारे में बताया बहुचर्चित प्रख्यात कालेज होने से उसके रैकिंग और स्कोप जैसे कैम्पस सिलेक्शन की प्राथमिकता पर जोर दिया जो स्वाभाविक भी था सो सब बात हो ही रही थी अचनक स्पीकर में घोषणा प्रारम्भ हुई और २nd पारी काउंसलिंग प्रारंभ होने पर हम सभी अपने अपने बच्चो के अड्मिशन में लग गए मै भी अपने दाखिला सम्बन्धी कार्य में वस्त हो गया और और इस तरह अड्मिशन प्रकिया पूर्ण कर हम सभी अपने अपने गंतव्य की और चल दिए
अब शाम को मैंने उस लड़की जिससे हम सभी ने काउंसलिंग पूर्व बात की थी व्वाहरिकता के नाते फोन किया और उसे उसके भाई के अड्मिशन पर बधाई और हमारे बच्चे के अड्मिशन की बात बता दी जवाब तलब के बात ख़त्म हो गई अब दुसरे दिन उसका फोन आया और कुछ और बात करने की पहल शुरू हुई बात बात में उसने कुछ माफ़ी जैसे शब्दों का इस्तमाल किया जो मेरे समझ से परे था समझ में ना आने से मैंने ऊससे जानना चाहा की आखिर बात क्या है चुकी मै एक बच्चे के अड्मिशन के सिलसिले में वहा गया था उसने मेरी उम्र ज्यादा आक कर मुझे अंकिल के संबोधन किया और उसके मन में इस बात को लेकर ग्लानी थी की उसने मुझसे झूठ बोला सो उसने सशर्त सुरक्षा का हवाला दे सारी बात बता दी बात सुन के मेरे होश उड़ गए बात ही कुछ ऐसी है आप भी सुनिए
उसने बताया की उसने अपनी इड़ेन्टिटि छुपाई जिसके लिए वो शर्मिंदा थी मेरा जवाब था की ये इतनी बड़ी बात नहीं है की इसके लिए आपको माफ़ी मागनी पड़े... वैसे भी लड़कियों को अपनी इड़ेन्टिटि एकदम से नहीं बतानी चाहिए और आपकी इस बात से मै सहमत हु सो इसे जाने दीजिये और मै उन बातो को नजरंदाज कर बात आगे बढा दी बात यहाँ ख़त्म नहीं शुरू होती है उसके बाद उसने परत दर परत जो जानकारी मेरे से बांटी सब कुछ साफ समझ आने लगा पर इसमें मैंने सुरक्षा के मद्दे नजर उपरोत इंजिनयरिंग कालेज का नाम और उस लड़की का नाम हटा दिया है अन्यथा उस लड़की जिसने मुझे सब बताया वो कही परेशनी में ना पड़ जाये "जी हा उसने कहा की उसके किसी भाई का अड्मिशन वहा नहीं था मै सब कुछ शांत मन से सुनता रहा मुझे लगा चलो ये भी ठीक है फिर उसने एक और भेद उजागर करते हुए कहा की वो खुद इंजिनयरिंग 5th सेम की छात्रा है जिस कालेज की वो काउंसलिंग पूर्व पैरवी कर रही थी की वहा अपने भाई का अड्मिशन वहा करा रही है मैंने ये भी सहा पर अब मुझे समझाते देर न लगी और मेरा सिक्स सेंस जाग गया और मेरी समझ में आ गया की काउंसलिंग पूर्व वो अपनी जिन बातो पर जोर दे रही थी वो उसी कालेज की है और वहा वो सुनियोजित तरीके से अलग अलग ग्रुप में लोगो से मिलने उम्हे और उनके मतापित्ता को प्रमोट करने अपनी पहचान जिसमे उनकी पढाई और निवास स्थान भी गलत होता है छुपा के कालेज प्रशासन के कहने से आई है जैसे की उसने मुझसे पहले कहा था की वो कामर्स की पढाई कर रही है वो सब गलत था इस तरह अपने ही कालेज से मिले आदेशो के तहत वे सभी लड़के और लड़किया अलग अलग दिन अपने कालेज के प्रचार में लगे रहते है लोगो को प्रमोट करते है की वे भी खुद किसी का अड्मिशन करा रहे है ऐसा माहोल बनाते हुए ये सभी काम करते है इसके लिए बाकायदा उनके कालेज प्रशासन उन्हें ट्रेनिग देता है उन्हें झूठ बोलने वाले और अच्छे से प्रजेंट करने की कवायद सिखाता है अच्छे से पर्जेंट करने वालो को अलग कर इस टास्क में शामिल किया जाता और उन्हें ये भी बताया जाता है की आप अपनी पहचान किसी से नहीं बतायेगे तो आप ही अंदाजा लगाइए की क्या इस तरह का भावनात्मक धोखेबाजी कौन्सिलिंग में इंजिनयरिंग कालेजो दाखिले के लिए आये लोगो के साथ नहीं की जा रही है ? और दूसरी और उसी कालेज में पढने वालो बच्चो से ऐसे कार्य करना ठीक है ?
क्या ज्यादा छात्रो की लालच में इंजिनयरिंग कालेज प्रशासन नीचता पर नहीं उतर आय है ? हो सकता है की ये आप में से किसी की नजर में सही भी हो पर क्या कोई ये बतायेगा की उसी कालेज के सीनियर छात्रो से ये सब करवाना ठीक है ?
बहरहाल इसा घटना के बारे में जब मै सुन रहा था सहसा ही मेरे मन में खडक सिंग और ऋषि मुनि याद आ गए जिसमे ऋषि मुनि ने घोड़ा चोरी करने वाले डाकू से कहा की ये बात किसी से ना कहे वर्ना लोगो का भिखारियों पे से विश्वाश उठ जायेगा कुछ ऐसा यहाँ भी हो रहा है

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