दीदी के बाद दादा का आम बजट २००९
सभी लुभावने वादों के साथ मंदी के दौर में पेश किया गया ये बजट पुराने बजट से कुछ अलग नहीं है बस थोडा जोड़ और घटा कर इसे पेश कर दिया गया है और सबसे महत्वपूर्ण जिन दो बातो को बजट ऊल्लेख होना चाहिए था उनका कही दूर दूर तक नामो निशा नहीं है, हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव के दरमिया काला धन वापस लाने का मुद्दा जोर पकड़ रहा था हो सकता था की इसका असर चुनाव परिणामो को प्रभावित कर लोकसभा का हुलिया ही बदल देता लेकिन कांग्रेस ने भी काले धन के मामले में सहमती जताते हुए धन को वापस लाने की बात कह कर इस मुद्दे को ही ख़त्म कर दिया पर मंदी के इस दौर के बजट में उस काले धन को वापस लाना तो दूर कही उसका जिक्र भी नहीं है , वही दूसरा सबसे महापूर्ण मुद्दा जिसे आज हम देख रहे है मानसून की देरी और उससे होने वाला नुकसान , जिससे सारा देश चिंतित है पानी की कमी हर तरफ विकराल रूप ले रही है बावजूद इसके न तो ऊससे निपटने के लिए कोई उपाय और न कोई राशिः का कही ऊल्लेख है इस तरह ग्रामीण की बात कर उसे कम ब्याज पर लोन की व्यवस्था की बात और रोजगार गारंटी के तहत १०० दिन हर गरीब को काम की प्राथमिकता को बजट में शामिल किया गया है लेकिन उसके क्रियान्वन के लिए किसी उचित मशीनरी का कही कोई उल्लेख नहीं है
गाँव का बजट बताकर नहीं थकते उन नेतावो को कैसे समझाए की जीने के लिए रोटी, कपडा और माकन चाहिये जो इस बजट में तो महगे होते ही दिखाई पड़ रहे है हाल ही में ईधन के मूल्यों में बढोतरी से सभी आवश्यक वस्तुओ के दामो में वैसे ही उछाल है पर बजट से मोबाईल , कंप्यूटर , टीवी के दाम में कमी होने के आसार है लेकिन कपडा और बाकि सब महगा होता दिखा रहा है वही सरकारी कर्मचारी जिनके पास सिर्फ और सिर्फ बजट से लगाव के दो कारणों होता है एक इन्कम टेक्स में छुट और दूसरा तनखा कितनी बढेगी उन ४० % लोगो को भी कोई खास राहत इस बजट से नहीं मिलती दिख रही है
६० सालो से जिस भ्रष्ट मशीनरी के हाथो ६० % लोग पिस रहे है उन्ही के हाथो से वर्तमान सरकार एक बड़ी राशिः खर्च कर गाँवों के विकास की बात इस बजट में कह रही है जबकि राहुल , सोनिया समेत कई कांग्रेसियों ने खुद ये बात कही है कि केंद्र से भेजा गया धन पूरा गाँवों तक नहीं पहुचता तो ऐसी स्थिति में क्या वही पटवारी या सरकारी मशीनरी इस बजट में निर्धारित योजनाओ से गाँवों का विकास करेगे ? ये जनता बेहतर जानती है
बहरहाल सबसे बड़ी पार्टी का दम भरने वाली और सवर्जन सुखाय और सवर्जन हीताय के पद चिह्नों पर चलने वाली ये कांग्रेस सरकार इस बजट से कितनो का भला करती है यह देखना होगा जब पानी ही नहीं होगा तो किसान लोन का क्या करेगा , जब मुलभुत सुविधा ही नहीं होगी तो ये १०० दिन रोजगार गारंटी योजन से किसका विकास करगे . इस तरह दीदी के बाद दादा का ये बजट अमीरों की जय हो और गरीबो को धो दो ऐसा प्रतीत होता है
संपादक
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