1 week ago
Tuesday, July 21, 2009
जब मै ५ वि क्लास में था तब मैंने भी पढ़ा था की " सूर्य ग्रहण " क्या होता है और साथ ही मास्टर जी ने उसे याद भी करवाया था समय बदला मेरी उम्र भी बदली और मै जैसे जैसे बड़ा हुआ " सूर्य ग्रहण " के और भी अन्य मायने मेरे सामने आते चले गए . जैसे किसी ने इसे तंत्र साधना से जोड़ के दिखया तो किसी ने इसे छूत अछूत से जैसा की पुराने ख्यालो के लोग कहते थे की " सूर्य ग्रहण " या किसी भी " ग्रहण " में भोजन नहीं करना चाहिए और " ग्रहण " समाप्ति के पश्चात् नहाकर शुद्ध होना चाहिए और घर को भी शुद्ध करना चाहिए वगैरा - वगैरा ऐसा मै सुनते आ रहा हु पर अब उसके भी मायने लोगो ने बदल डाले. कैसे भला आप मुझसे क्यों पूछ रहे है खुद याद कीजिये जी हा हमारे न्यूज़ चनैल दिन भर भरपूर दुकानदारी में लगे है अब मै तो इसे दुकानदारी ही कहुगा वो इस लिए भी की अब खगोलीय संरचना पर आधारित घटना चक्र को हमें तंत्र , राशिः और पंडित के माध्यम से समझाने में लगे हमारे "राष्ट्रीय न्यूज़ चनैल " इसके बल बूते अपनी दुकान ही तो चला रहे है , जिस खगोलीय संरचना को वैज्ञानिक पूरी तरह नहीं समझा पाए उसे इन दुकानदारो ने समझा लिया क्यों की उन्हें तो नफा नुकसान राशिः के माध्यम से बताना, दिखान है सो " सूर्य ग्रहण " के सही मायने समझने है तो आपको अंग्रेजी याने A toZ का पूरा ज्ञान होना चाहिए पिछले " सूर्य ग्रहण " तक सब कुछ सिर्फ राशिः और वो भी हिंदी तक ही सीमित था लेकिन इस " सूर्य ग्रहण " में ग्रहों ने बाकायदा अंग्रेजी सिख ली है और अब बात हिंदी तक सीमित नहीं रही इसमें बाकायदा अंग्रेजी वर्ण माला के सहुलिता से आपको " सूर्य ग्रहण " और उसके फायदे , नुकसान , गृह दशा और राशिः का मेल जोल वो भी गणितीय अंको के माध्यम से आपको समझाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है तो ये दुकानदारी नहीं तो क्या है इसमें कुछ वैज्ञानिक दुकाने भी शामिल है जिन्होंने बहुत दुर का पास दिखने का बीडा उठाया है इस तरह की बहुत सी " सूर्य ग्रहण " वाली दुकानों पर इस अनवरत बारिश ने पानी फेर दिया है और वैसे भी निरंतर बारिश की भविष्य वाणी किसी पंडित ने नहीं की थी सो वे अभी तक राशिः और ग्रहों के ही इर्द गिर्द घूम रहे है हो सकता है की इसे अगले " ग्रहण " की भविष्य निधि योजना में शामिल करने का फैसला किया हो फिर इसके माद्यम से भी आपको डरा के दुकानदारी चालू की जा सके
बहरहाल सीधा सा गणित है सूर्य का प्रकाश प्रथ्वी पर क्यों नहीं पहुचता क्यों की सूर्य और प्रथ्वी के बीच कोई आ जाता है बस लो हो गया " सूर्य ग्रहण " अब रही बात वो पुराने लोगो की बातो की " ग्रहण " में भोजन नहीं करना चाहिए और " ग्रहण " समाप्ति पर स्नान करना चाहिए वैगेरा वैगेरा उसका सीधा फंडा था की चुकी " ग्रहण " असामान्य प्रक्रिया है और उस समय सूर्य , प्रथ्वी और चन्द्रमा अपने निर्धरित खगोलीय संरचना प्रक्रिया के प्रतिकूल क्रिया करते है सो इस परिवर्तनिय प्रक्रिया के फल स्वरूप किसी भी प्रकार की घातक किरणों इत्यादि से बचा जा सके इस लिए उन्होंने स्नान की बात कही थी " ग्रहण " जैसी खगोलीय घटना के समय आप सचेत रहे उसे खिलवाड़ न करे इस लिए उस समय ध्यान की बातो पे जोर दिया था .तो पाठक बुधजिवी वर्ग से मेरा अनुरोध है की इसे खगोलीय घटना के रूप में देखे न की इन दुकानदारो के चश्मे से डरे नहीं सतर्कता बरते और उससे सीखने की कोशिश करे " सूर्य ग्रहण " होगा आप भी वही रहेगे मै भी और बाकि सब कुछ भी वैसा ही मिलेगा आपको बस बदलेगा तो दिन
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