
Thursday, December 31, 2009
Wednesday, November 11, 2009
मी मराठी , मैं हिन्दी , और दुनिया गयी भाड में
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Friday, November 6, 2009
रोड शो की सफलता के बाद अब एअर शो
राज्य सरकार उनके मंत्री और मातहतों के जमीन और कागजो पर कमकरतब थे जो अब राज्य सरकार
रोड शो की सफलता के बाद अब एअर शो आसमान पर करतब दिखने का आयोजन कररही है सरकार की ख्वाइशे हनुमान की पूछ से कम नहीं, कभी भी लम्बी हो निकलती हैदरसल राज्य उत्सव के चलते राजधानी में ...आज एअरशो आयोजन है हजारो बच्चो और सरकारी अमला कही व्यवस्था तो कही भीड़ के रूप में शामिल कर उत्सव में चार चाँद और उसे सफल बनाने की कवाद की जायेगी. राज्य के स्कूली बच्चो समेत सभी को कम उचाई से विमानों के करतब दिखने का प्रबंध किया गया है. दो बार स्थल परिवर्तन के साथ आज ये शो बुढा तालाब के ऊपर प्रदर्शित होगा वैसे आज ए़क शो और भी है , चुनावी - शो यह करतब वैशाली नगर की जनता चुनावी समर में शामिल प्रत्याशी और सरकार को दिखाएगी .फिर चाहे विजय प्रत्याशी जनता को ५ साल अपना करतब दिखाए ये और बात है
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Saturday, October 31, 2009
जनता के पैसे पर नेतावो का उत्सव
हैप्पी बर्थ डे "छत्तीसगढ", आज "हमर छत्तीसगढ" ९ साल पूरा कर 10 वे साल में कदम रखेगा. फिर एक बार राजन का परचम लहराएगा, फिर ए़क बार बखानो का पुलिंदा पकडा दिया जायेगा, फिर ए़क बार राज्य के घरो में अँधेरा कर कोठियों को प्रजव्लित किया जायेगा, फिर ए़क बार बाहर से आये महानुभाओं का हम सत्कार करेगे और उपकार सुनेगे, फिर एक बार खेल के मैदानों को गढढो में तबदील कर छोड़ दिया जायेगा, फिर ए़क बार 2.5 करोड़ जनता इसकी तमाश बीन बनेगी. इस तरह आज से छतीसगढ में स्थापना दिवस का ऊलास परवान चढेगा, सात दिन का उत्सव सात करोड़ खर्च और सात महीने से सरकारी कर्मचारी का काम बंद, यही दांस्ता है छग राज्योत्सव की...........
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Tuesday, October 20, 2009
खुद को कंगाल कर के आप बना रहे है सबको करोड़ पति
अभी तक आपने कौन बनेगा करोड़ा पति , फिर दस का दम , और अब सच का सामना जैसे बहुत से धनवान बनाने वाले कार्यक्रम देखे होगे. और सब की धुरी भी अर्थ ही है मतलब पैसा, जी हां हम सभी के मन में ये चाह अंकुरित होते रहती है .. की हम भी करोड़ पति बन जाये ..अब सुनिए एक और सच की आप और हम सभी बना रहे है करोड़ पति ..., करोड़ पति नहीं बल्कि दुनिया का सबसे धनि व्यक्ति जी हा हम ही बनाने जा रहे है दुनिया का सबसे धनि व्यक्ति. वर्ष २०१० में दुनिया का सबसे धनि कौन होगा आपके मन में यह सवाल आ ही गया होगा तो सुन लीजिये ऑरकुट का जनक उनका नाम है आरकुट ब्युक्कोटन वही उसके पिता है जो बनने जा रहे है दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति वो भी अपनी कम मेहनत और आपके ज्यादा सहयोग से. चौकिये मत आपके बूते और भी बहुत लोग चांदी काट रहे है और आप इंटरनेट का बिल भुगतान कर रहे है. ये लिखते समय ही एक इंटरनेट मित्र से मेरी बात हुई जिसमे उन्होंने बहुत ही विनम्रता से ये बात कही " मेरे पास ब्राड बैंड पल्स का प्लान है जिसमे १ जीबी स्पेस ही फ्री है सो रात में देखुगा. मतलब हम किस तरह अपनी सामर्थ से खुद की चादर के अपुरूप इंटरनेट का उपयोग कर के भी किसी को धनि बना रहे है. जितने लेख और आलेख इन ब्लाग और इंटरनेट के साधनों में उपलब्ध है उसे वैलुबली मापे तो लाखो रु के होगे क्यों की एक आलेख १००० रु के भी जोड़े जो मैगजीन या अख़बार से मिलता है तो भी इनकी कीमत का अंदाजा आप खुद लगा सकते है की ये कितने के है. ये तो हुई आलेख या ब्लाग में रखे मटेरियल की बात अब अगर हम उसके संचालक और संचालन पर नजर डाले तो पायेगे की जितना आप महीने के इंटनेट का बिल भरते है उससे कही ज्यादा आपके सर्फिंग या मात्र रजिस्ट्रेशन से उन्हें मिल जाता है वो भी एक दिन में जरा इन आकडो पर गौर करे ...
गूगल आरकुट ब्युक्कोटन को,प्रत्येक व्यक्ति रजिस्ट्रेशन के १२ डाँलर भुगतान करता है वही किसी व्यक्ति को मित्र बनाने पर १० डाँलर ८ डाँलर का भुगतान किया जाता है जबकि कोई मित्र के जरिये मित्र बनता है तो ५ डाँलर जब आप किसी को स्क्रेप भेजते है या कोई आपको स्क्रेप भेजता है तो ४ डाँलर प्रति व्यक्ति के हिसाब से गूगल ऑरकुट को भुगतान करता है बात यही ख़त्म नहीं होती २०० डाँलर प्रति फोटो डाऊनलोड के ,१.५ डाँलर जब कोई किसी को फैन बनता है , हांट लिस्ट में स्थान देने पर २.५ डाँलर. इसी तरह लांग आउट करने के १ डालर और स्क्रेप पढने और सूचि देखने के लिए ०.५ डाँलर अब आप सोचिये . ठीक इसी तरह फेस बुक से लेकर हर वो साधन जो इंटरनेट में चलाये जा रहे है फिर वो याहू हो गूगल या hi5 या फिर कोई अन्य सभी में कमाई की जा रही है और माध्यम आप है. आप फिर चाहे ब्लाग उपयोग करते है या फिर कोई भी इंटरनेटीय संसाधन सभी में आपकी ही मेहनत से करोड़ पति बनाने की कवायद में लोग जुटे है . जहा तक मुझे याद है आरकुट में मित्र बनाने - बनने के आलावा ऐसा कुछ और नहीं है जिससे उपयोग कर्ता को फायदा पहुचे और मित्र भी ऐसे जिनके नाम ही गलत होते है जैसे लड़की का नाम और बनाने वाल लड़का . अब आप ही बताइए ऐसे मित्र बना के किसे फायद पहुचेगा। तो आप बना रहे है ना दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति वो भी खुद को कंगाल कर के ......आये दिन ऐसे नए प्रयोगों से मेल लदे पड़े रहते है जिन्हें इजात कर इंडिया में छोड़ दिया जाता है टेस्टिंग के लिए
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Saturday, October 17, 2009
घी के दीये जलावो, जहरीली मिठाई खावो
बहुत पहले की एक धार्मिक कहानी याद आती है की शिर्डी के साई बाबा ने अपनी अलौकिक शक्ति के माध्यम से पानी के दीये जलाये थे....,जगमगा उठी थी शिर्डी ... निश्चित ही बाबा का यह चमत्कार उस वक्त हुआ था जब लोग निराश थे ना धी था और ना इतने पैसे, तब लोगो की खुशियों को बरक़रार रखने के लिए बाबा ने यह चमत्कार किया था ताकि दीवाली के दिन लोग उमंग से भरे रहे बाबा का यह काम चमत्कारी नहीं कल्याणकारी था
आप सभी को दीपावली की शुभकामनाये सहि
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Wednesday, October 14, 2009
धनतेरस - धनवंतरी, रमन का जन्म दिवस - मणिकांचन संयोग
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Monday, October 12, 2009
किसको करूँ वोट
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Monday, September 28, 2009
" रावण अभी जिन्दा है "
" रावण अभी जिन्दा है "
अपनी राय भेजे
संपादकीय
cg4भड़ास.कॉम
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विजयादशमी पर्व की शुभकामनाये
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Thursday, September 24, 2009
राजा तुम दुखी हो............. ?
राजा तुम दुखी हो............. ?
बुधवार की घटना है, मुख्यमंत्री ने बुधवार को जो कहा गुरुवार को अमल में लाया शुक्रवार ,शनिवार ,रविवार को समय के हिस्से में बहुत सारी बाते खुद व खुद अमल में आ जायेगी । , खुलती परतों से कोई आहत हो तो हम बता दें कइयों को राहत किसी एक को आहत करने से मिलती हो तब यह कदम ज्यादा सर्वश्रेष्ठ होता है या कहलाता है। आखिरी में एक सवाल है।
बुधवार की घटना थी -
कोरबा के एक प्लांट में चिमनी गिरने से धरती के मजदूर जिनकी संख्या 35 है वे मर गए। चिमनी में आग लगी थी। कम्पनी डी.जी.सी.एल. है।
मजदूरों के हितैषी, संवेदनशील, जननायक दयालू -कृपालु (आपके पास और कोई उपमा/या विशेषण हो तो उसे जोड़कर पढ़े) मुख्यमंत्री ड़ॉ. रमन सिंह ने इस हृदय विदारक घटना पर पत्रकारों को मोबाईल पर जो एसएमएस भेजकर अपनी प्रतिक्रिया दी वह थी यह :- क्रमशः आगे पढ़े
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Tuesday, September 22, 2009
क्या विज्ञापनो से प्रदेश " अव्वल" बनेगा ?
" अव्वल" हिंदी का साधारण शब्द लेकिन हम सब के जीवन में खास अहमियत रखता है हमारा सारा जीवन इस " अव्वल" शब्द की पदवी को हासिल करने में चला जाता है कुछ लोग इसे हासिल कर लेते है तो कुछ हसरत लिए दुनिया से चल देते है हर मुकाम पर अपने और अपने खास लोगो को अव्वल देखने की चाह हमेशा हमारे मन में हिलोरे मारते रहती है देश की बात करे तो कर्ज लेने में " अव्वल", नेताओ की बात करे तो झूट बोलने में " अव्वल", जनता है तो ...गलत जनप्रतिनिधि चुनने में " अव्वल" ,...... अधिक पढ़ें http://bhadas4cg.com/
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Sunday, September 20, 2009
Wednesday, September 16, 2009
अपने सम्मान के चक्कर में देश के सम्मान पर कचरा फेका
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Sunday, September 13, 2009
Saturday, September 12, 2009
अगर आपके पास इस छाया चित्र के लिए शब्द है तो हमें भेजिये
यह छाया चित्र स्थानीय अख़बार दैनिक छत्तीसगढ़ से लिया गया है लेकिन इस चित्र को देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मै तारीफ करता हु उस फोटो ग्राफर की जिनकी निगाहे काबिले तारीफ है जिन्होंने इसे अपने कैमरे में कैद किया
अगर आपके पास इस छाया चित्र के लिए शब्द है तो हमें भेजिए
Cg4भड़ास .काँम
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Saturday, September 5, 2009
"पितृ पक्ष श्राद्ध " में कौओं का अकाल
कौआ , सर्वस्थ और बहुतायत में पाया जाने वाला पक्षी इन दिनों दुर्लभ हो चला है शहरों में कांव कांव की ध्वनी से जहा तहा आकर्षित करने वाला कौआ अब शहरों में ढूंढे नहीं मिलता यही वजह है की पितृ पक्ष में श्राद्ध की पुरातन परम्परा को पूरा करने के लिये कौओं को रोटी खिलाने वालों को इन दिनों काफी निराशा का सामना करना पड रहा है यह मामला कही और का नहीं छत्तीसगढ. का है छग पत्थलगांव के हवाले से वार्ता की इस खबर पर नजर पड़ते ही मै चकित रह गया .पर ये सच है औद्योगिकीकरण और अन्य कारणों के चलते तेजी से बढ रहे पर्यावरण प्रदूषण के चलते शहरी क्षेत्रों में इन दिनों कौए दुर्लभ पक्षी बन गया हैं
पक्षी विशेषज्ञ और धरमजयगढ वन मण्डल अधिकारी हेमन्त पाण्डेय का कहना है कि कौए वातावरण के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं1 पानी और भोजन में कीटनाशक और रासायनिक दवाओं के जरूरत से ज्यादा प्रयोग होने से कौऐ तथा अन्य पक्षी आबादी से काफी दूर जा रहे हैं
श्री पाण्डेय ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण से मनुष्य के साथ.साथ पक्षियों पर भी विपरीत असर पड रहा है1 यही वजह है कि अब शहरी क्षेत्रों में कौओं की कांव.कांव कम सुनाई पडने लगी है
बहरहाल श्री पाण्डेय की बात पर गौर और विश्वाश करे तो छत्तीसगढ में वन्य जीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है पर यही खबर उन सभी के लिए खुश खबरी से कम नहीं जो किसी अवसर की तलाश में जो अपनी गिध्ध द्रष्टि लगाये सिर्फ बजट के इंतजार में रहते है
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Thursday, September 3, 2009
बढ़ेगा राष्ट्रभाषा का दायरा
राजकुमार साहू, जांजगीर
हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा है, लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं के प्रभाव के कारण इसका दायरा सिमट कर रह गया है। हिन्दी हमारे देश का गौरव व अभियान है और किसी देश को कोई भाषा ही एकता के सूत्र बांधे रख सकती है, क्योंकि विचारों की अभिव्यक्ति का यह सशक्त माध्यम होती है। पिछले दिनों केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने समान कोर पाठ्यक्रम की वकालत करते हुए राष्ट्रभाषा हिन्दी को देश के सभी स्कूलों में पढ़ाए जाने को लेकर जिस ढंग से जोर दिया है, यह अच्छा संकेत है। यदि ऐसा होता है और देश भर के सभी स्कूलों में हिन्दी पढ़ाया जाता है तो राष्ट्रभाषा का दायरा तो बढ़ेगा ही, इससे हर भारतवासियों के लिए किसी भी राज्य या हिस्से में अभिव्यक्ति को लेकर कहीं भी असमंजस की स्थिति पैदा नहीं होगी, जो अक्सर ऐसी बात सामने आती रहती है।
राष्ट्रभाषा हिन्दी, भारत का स्वाभिमान का प्रतीक है तथा इसका अनेकता में एकता के सूत्र वाक्य का देश में अपना एक महत्व है, क्योंकि भारत ही दुनिया का ऐसा देश है, जहां हर मामले में विविधता पाई जाती है। चाहे वह भाषा की बात हो या फिर धर्म की तथा जाति हो या अन्य क्षेत्रीयता सहित विविधता की बात हो। सभी मामलों में यहां विविधता है, लेकिन देशवासियों में एकता की भावना एक है, इसमें कहीं विविधता नहीं है। यही कारण है कि आज तक किसी ने यहां की एकता व अखंडता का डिगा नहीं सका है। भारत देश में धर्मनिरपेक्षता की बात दुनिया के लिए मिसाल बनी हुई है। ऐसे में भाषा के मामले में अब क्षेत्रीय भाषाओं के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी भी पढ़ाए जाने के, जोर पकडऩे से निश्चित ही इससे देश के लोगों में विचारों के आदान-प्रदान में वृद्धि होगी, क्योंकि देश के २८ राज्यों में कुछ ही राज्य हैं, जहां हिन्दी पूर्णरूपेण बोला जाता है। कई राज्यों में क्षेत्रीय भाषा व अंग्रेजी का एकाधिकार है। ऐसे में होता यह है कि जब किसी राज्य में जाता है तो वहां राष्ट्रभाषा के जानकार नहीं मिलने से उसे अपनी बात कहने तथा अन्य कार्यों संबंधी दिक्कते हो जाती हैं। संविधान ने अनेक राज्यों में बोली जाने वाली भाषा को स्थान दिया हुआ है और क्षेत्रीय होने के नाते इसकी जानकारी होना व इस भाषा को बोलना तो जरूरी है ही, लेकिन देश के नागरिक होने के नाते ह हर किसी को राष्ट्र की भाषा हिन्दी की जानकारी भी जरूरी है। चाहे वह बोलने की बात हो या फिर लिखने की। मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रभाषा हिन्दी को देश के सभी स्कूलों में लागू किए जाने की पहल सराहनीय है। निश्चित ही इससे हिन्दी भाषा का दायरा तो बढ़ेगा। साथ ही देश भर कोई ऐसी भाषा भी होगी, जिससे कोई भी अपनी बात, कहीं भी रख सकता है। इसके लिए उसे विदेशी भाषा अंग्रेजी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। दुनिया में अंग्रेजी का दायरा बढ़ रहा है। भारत में भी बीते कुछ दशक के दौरान अंग्रेजी का साख बढ़ रहा था, लेकिन मानव संसाधन मंत्रालय के इस पहल से हिन्दी का दायरा कुछ ही राज्यों में न होकर देश के सभी इलाकों तक बढ़ जाएगा।
हिन्दी राष्ट्रभाषा होने के बाद भी कई राज्यों में प्रशासनिक कामकाज हिन्दी में नहीं होती। यह एक चिंतनीय बात है। कई ऐसे सेक्टर हैं, जहां दूर-दूर तक हिन्दी का दखल नहीं है। इस बारे में सरकार ने देर से सोची, लेकिन अब इस निर्णय से जरूर लाभ होगा। देश के स्कूलों में हिन्दी भाषा पढ़ाने की वकालत को यदि अमलीजामा पहनाया जा सकेगा तो इसे राष्ट्रभाषा के विकास व उत्थान की दिशा में अब तक के सबसे बड़े प्रयास के रूप में माना जा सकता है। लोगों को लगता है कि हिन्दी भाषा से पढ़ाई कर जीवन में आगे नहीं बढ़ा जा सकता, यह गलत है, क्योंकि इसका दायरा पहले से ही काफी बढ़ गया है। दुनिया में हिन्दी अखबारों की संख्या अंग्रेजी से कहीं ज्यादा है और इसके पाठकों की भी संख्या अधिक है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिन्दी कितनी समृद्ध है। हालांकि समय के कुछ थपेड़ों ने हिन्दी को लोगों से दूर कर दिया था और इसकी जगह अंगे्रजी ले रही थी, लेकिन देश में हिन्दी, राष्ट्र की अस्मिता के लिए जानी जाती रही है और जाना जाता रहेगा।
हर वर्ष १४ सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। इस दिन तमाम तरह के आयोजन होते हैं, लेकिन इसके बाद हिन्दी की महत्ता व राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा विकास के बारे में कोई नहीं सोचता। इसी का परिणाम है कि आजादी के बाद देश में हिन्दी भाषा का दायरा जितना बढऩा चाहिए था, वह नहीं बढ़ सका है। फिर एक बार हिन्दी दिवस की तारीख नजदीक आती जा रही है। ऐसे में हम सभी को राष्ट्रभाषा की समृद्धि को लेकर संकल्प लेना होगा कि देश ही नहीं, दुनिया में भी राष्ट्रभाषा हिन्दी को एक नई ऊंचाई हासिल हो। ऐसे में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के देश के सभी स्कूलों में हिन्दी पढ़ाने की वकालत, एक स्वर्णिम पल कहा जा सकता है, जिससे हिन्दी की शाख और बढ़ेगी। यदि ऐसा होता है तो देश के किसी भी कोने के लोगों के विचारों का आदान-प्रदान होगा और एक-दूसरे से अभिव्यक्ति भी आसानी से हो जाएगी। अलग-अलग राज्यों में लोगों को अलग-अलग भाषा का ज्ञान होने से कई बार अपनी विचारों को अभिव्यक्त करने में दिक्कतें आ जाती हैं। इस तरह यह पहल कई मायनों में अनुकरणीय है। राष्ट्रभाषा हिन्दी, देश के सभी स्कूलों में जिस दिन से पढ़ाया जाने लगेगा, वह दिन आजाद भारत का एक और स्वर्णिम अवसर होगा, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा और इसे हर भारतवासी हमेशा याद रखेगा और मिलकर कहेंगे हिन्दी हैं हम...।
राजकुमार साहू, जांजगीर
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Friday, August 28, 2009
अपने पेन ड्राइव उपयोग रैम की तरह करे
हम सभी सुविधाजनक उपयोगिता के लिए पेन ड्राइव उपयोग करते है अगर आप अपने पेन ड्राइव का उपायों कंप्यूटर की गति बढ़ने के लिए करना कहते है तो बस निचे लिखे निर्देशों का पालन करिए और बन जायेगा आपका पेन ड्राइव रैम .यह आपके PC की गति और प्रदर्शन क्षमता बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त परत के रूप में फ़्लैश मेमोरी और मुक्त रैम का प्रयोग करेगा जिससे आपके PC के लिए कैश मेमोरी में बढ़त होगी आपके पास अधिकतम चार सस्ती पेन ड्राइव हो तो अपने कम्प्यूटर की गति को
- Vista ReadyBoost है और SuperFetch लाभ अब आपके Windows XP PC पर;
- अधिक तेज़ कम्प्यूटर और अधिक प्रयोग किए जा रहे साफ्टवेयर के लिए फाइलों की कैशिंग;
- दोनों USB और Non-USB (हटाये जा सकने वाले मीडिया उपकरणों (CF, एसडी / SDHC, MMC,और अन्य मेमोरी कार्ड का) के साथ उपयोग में लाया जा सकता है, साथ ही साथ अतिरिक्त हार्ड डिस्क(xD) के साथ भी काम करता है;
- अधिकम 4 USBs के साथ स्मार्ट कैशिंग की अनुमति देता है;
- HD के फाइल सिस्ट्म का कैशिंग आकार 4GB तक हो सकता है; NTFS आकार पर कोई सीमा नहीं है
- सभी "ReadyBoost" उपकरणों के साथ काम करता है यानि 'Enhanced for ReadyBoost' को support करता है
अधिक जानकारी: http://www.eboostr.com/
साफ्टवेयर डाउनलोड eBoostr
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Wednesday, August 26, 2009
झोलाछाप डाँ की करतूत
अभी साधना न्यूज़ सीडी मामला शांत भी नहीं हुआ की फिर से राजधनी को एक सीडी मामले ने गरमा दिया इस बार करतूत एक डाँ की थी वही डाँ जो भगवान तुल्य होता है और विश्वाश इंतना की कई बार अन्दुरुनी बाते भी उन्हें बतानी पड़ती है कहते है की डाँ और वकील से कुछ नहीं छुपाना चाहिए वर्ना नुकसान अपना ही करेगे पर अब ऐसे डाँ भी देखने मिल रहे है जिनसे बात तो क्या उनकी नजरो से भी ओरतो को बचा के रखना पड़ेगा . छत्तीसगढ , राजधानी रायपुर से समीपस्थ अडसेना [ सारागांव ] में एक ऐसा ही मामला सामने आया है पुलिस ने गाँव में संचालित निजी किलिनिक में छापा मार दो लोगो को गिरफतार किया विगत ११ साल से डाँ के पेशे से जुडा यह व्यक्ति झोला छाप डाँ बताया जा रहा है . कम्पूटर , कैमरा , पेन ड्राइव और तकनिकी संसाधनों से लैस यह डाँ महिला मरीजो को इलाज के बहाने बुला उनकी अश्लील रिकार्डिंग करता था . आरोपी डाँ और उसका भाई इस काम में लिप्त बताये जा रहे है .ब्राम्हणपारा निवासी डाँ आशीष शर्मा पर गाँव वालो को उस समय शक हुआ जब एक लड़की को अपने किलनिक बुलवाया जो सरपंच तेजपाल की बेटी थी पिता को शक होते ही पुलिस को सुचना पश्चात् हैरत में डालने वाले तथ्य सामने आये जाँच में आरोपी डाँ के कंप्युटर में से बहुत से महिला मरीजो की अश्लील फिल्म बनी बरामद हुई जिससे सभी हैरत में पड़ गए
बहरहाल बड़े नर्सिंग होम और डाँ को छोड़ कर झोलाछाप डाँ पर कार्यवाही कर पुलिस अपनी पीठ खुद ही थपथपा रही है , हाल ही में एक और नर्सिंग होम में कार्यरत कर्मचारी द्वारा चेंजिंग रूम में कैमरे से अश्लील रिकार्डिंग की घटना के बाद अब ये दूसरी घटना है जिसमे डाँ पेशा , और नर्सिंग होम भी अश्लील फिल्म बनाने की वारदातों से जुड़ते नजर आ रहे है गौरतलब बात यह भी है की छत्तीसगढ के सुदूर वनाच्लो , बीहड़ जहा वैसे ही सरकार और अस्पताल कम ही दिखाई पड़ते है और सरकार का बेहतर स्वास्थ सेवाए उपलब्ध करने का दावा सिर्फ विजापन तक ही सिमट जाता है , वहा ग्रामीण इन्ही झोलाछाप डाँ की मदद से स्वास्थ सेवा लेते थे . हाल ही में सरकार ग्रामीणों को इन्ही झोलाछाप डाँ के बलबूते बेहतर स्वास्थ सेवा मुहैया करने के सब्जबाग दिखा रही थी अब वो भी बिखरता नजर आ रहा है झोलाछाप डाँ से शोसित ग्रामीणों के बिखरे विश्वाश को सरकार पुनः बना ग्रामीणों को कैसे स्वास्थ सेवा मुहैया करायेगी ये सरकार के लिए चुनौति से कम नहीं
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Tuesday, August 25, 2009
कही आप ३५० रु किलो का खड्डा तो नहीं खरीद रहे है ?
जबकि प्रसाशन के निर्देश अनुसार मिठाई अलग से वजन की जानी चाहिए और उसके बाद उसे डब्बे में डाल पैक करना चाहिए लेकिन ये खाद्य विभाग का तोहफा ही है जो हर त्योहार पर या यु कहे की जब भी हम मिठाई लेते है हमें विभाग की ओर से मुफ्त मिल रहा है
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साधना न्यूज़ चैनल पर मामला पंजीबद्ध

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Sunday, August 23, 2009
प्राध्यापक के सर चढ़ा पत्रकारिता
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Monday, August 17, 2009
नए फ्लेवर में नशे के बाजीगर परोस रहे है धुम्रपान का सामान " हुक्का रेस्टोरेंट "
आप सभी को याद होगी गाँधी जयन्ती 2 अक्तूबर, 2008 से पूरे देशभर में अधिसूचना जारी कर ‘सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान’ को प्रतिबंधित कर सरकार ने धुम्रपान करने वालो की शामत ला दी थी ,आज वही सरकार धूम्रपान की हिमायती बन नशे के बाजीगर के साथ मिल कर लोगों की जेबे निचोड़ने नए जुगाड़ में लगी है ऐसा मै नहीं कहता सरकारी आदेशो की धज्जिया उडाते , नियम कानून को ताक पर रख मुह चिढ़ते " हुक्का रेस्टोरेंट " जो हिन्दुस्तान के पाश ईलाके से लेकर ,गली कूचो में धड्ले से चलाये जा रहे उनको देख के तो कम से कम यही कहा जा सकता है , जब हर तरफ धूम्रपान’ के प्रतिबंधित का प्रयास कर स्मोक फ्री जोन बनाने की पहल जा रही हो ऐसे में खुले आम " रेस्टोरेंट " की आड़ में " हुक्का रेस्टोरेंट " स्मोक फ्री जोन बनाने की बात करने और प्रयास में जुटे लोगो के मुह में तमाचा है
गाँधी जयन्ती 2 अक्तूबर, 2008 से पूरे देशभर में अधिसूचना जारी कर जीएसआर 417 (ई) दिनांक 30 मई, 2008 के अनुरूप केन्द्र सरकार ने ‘सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान’ से संबंधित नियम संशोधित करके पूर्णत लागू कर दिया है। स्मोक फ्री बनाने के उद्देश्य से संशोधित नियमों के अन्तर्गत सभी सार्वजनिक स्थानों पर सख्ती से निषिद्ध है।
‘सार्वजनिक स्थलों’ में आडिटोरियम, अस्पताल भवन, स्वास्थ्य स्थान, मनोरंजन केन्द्र, रेस्टोरेंट, सार्वजनिक कार्यालय, न्यायालय भवन, षिक्षण संस्थान, पुस्तकालय, सार्वजनिक यातायात स्थल, स्टेडियम, रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, कार्यषाला, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, रिफ्रेशमेंट रूम, डिस्को, कॉफी हाऊस, बार, पब्स, एयरपोर्ट लॉज आदि शामिल किए गए हैं। इस एक्ट के तहत जो भी व्यक्ति उल्लंखन करेगा उस पर 200 रूपये के आर्थिक दण्ड के साथ दंडात्मक कार्यवाही करने का प्रावधान किया गया है। इस एक्ट के तहत यह भी प्रावधान किया गया है कि जिन होटलों के पास 30 या अधिक रूम अथवा रेस्टोरेंट के पास 30 व्यक्तियों की क्षमता की सीट अथवा अधिक तथा एयरपोर्ट को अलग धूम्रपान क्षेत्र अथवा जगह, नियमों के द्वारा जैसा आवष्यक हो को प्रदान/रखना होगा। अधिनियम के तहत मालिक, प्रोपराइटर, प्रबन्धक, सुपरवाइजर अथवा सार्वजनिक स्थानों के मामलों के प्रभारी यह सुनिष्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान न करें, अधिनियम की अनुसूची-2 में वर्णितानुसार बोर्ड महत्वपूर्ण स्थलों तथा सार्वजनिक स्थल के प्रवेश द्वारों पर विषेष रूप से नियमों को प्रदर्षित करें और धूम्रपान हेतु दी जो वाली एस्टेªज, माचिस, लाइटर तथा अन्य सामान सार्वजनिक स्थल में मुहैया नहीं कराई जाएगी।
अमेरिका, यूएई, दुबई, फ्रांस सहित कई बड़े देशों में प्रतिबंधित नशा शीशा चुपके-चुपके हिंद्दुस्तान में पैठ जमा चुका है। नशेड़ियों के आम ठिकानों से इतर यह हुक्का आलीशान रेस्टोरेंट में खुलेआम परोसा जा रहा है। इसका नजारा छत्तीसगढ के गली कूचो पाश ईलाकों में आसानी से देखा जासकता है जाहिर है इसके शौकीन मोटी जेब वाले ही हैं।
हर कश में लगभग 4 हजार रसायन वाला शीशा का हुक्का डॉक्टरों के अनुसार भी अत्यधिक घातक है , जिसके ४३ रसायन घातक यानी कैंसर कारक होते हैं। जैसा कि उन्होंने बताया, किसी रेस्तरां, होटल या अन्य कहीं भी शीशा का धूम्रपान कर रहे व्यक्ति के साथ पास बैठे लोगों को भी कई घातक रोग लग सकते हैं।
गौरतलब है की भारत में तत्कालीन यूनियन हेल्थ मिनिस्टर अंबूमणि रामदास ने डबल्यूसीटीओएच की चौदहवीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सार्वजनिक स्थानों, होटलों, बीयर बारों और रेस्तरां में इस तरह के नशे को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और कई वैज्ञानिक प्रमाणित कर चुके हैं कि शीशा की लत छोड़ना हेरोइन और कोकीन से भी ज्यादा कठिन है।
बावजूद इसके नशे के बाजीगर ने लोगों की जेब निचोड़ने नए जुगाड़ के साथ " हुक्का रेस्टोरेंट " को बाजार में उतरा । शान से हुक्का गुड़गुड़ा रहे लोगो को मालूम नहीं है कि धुएं के साथ उनकी रगों में अरब मुल्कों से आया वहां का पुराना नशा ‘शीशा’ घुल रहा है, जो फेफड़ों के कैंसर जैसी घातक बीमारी का सबब भी बन सकता है। हालात से बेखबर पुलिस और प्रशासन की उदासीनता के चलते नया धंधा आसानी से चांदी काटने का जरिया बन गया है। विदेशों में इस तरह का नशा मुहैया कराने वाले रेस्तरां कारोबारियों के खिलाफ एंटी ड्रग्स कानून के तहत कार्रवाई के सख्त निर्देश हैं। जानकारों की मानें तो यहां शातिर लोगों ने इसका तोड़ भी फ्लेवर्ड शीशे के रूप में निकाल लिया है। मैलेशिश (शीरा) के साथ टेबोनल या मसाल या जर्क के गर्म होने पर शीशा तैयार होता है। टेबोनल, जर्क और मसाल निकोटीन व तंबाकू युक्त पदार्थ हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं मैलेशिश (शीरा) को हुक्के के जार में भरकर ऊपर रखी प्लेट में टेबोनल या मसाल या जर्क डाला जाता है। फिर इसे नीचे लगे बर्नर से गर्म कर किया जाता है। हुक्का पाइप से यह कश शीरा में होता हुआ पीने वाले के मुंह तक पहुंचता है। बॉडी वाल्व से सैट करके इसे खींचने की मात्रा को कम या ज्यादा किया जा सकता है।
यदि किसी रेस्तरां या सार्वजनिक स्थान में ऐसा हो रहा हो तो शिकायत करें।यदि किसी रेस्तरां या सार्वजनिक स्थान में ऐसा हो रहा हो तो शिकायत करें। छोटे बच्चों को यदि कोई व्यापारी या रेस्तरां संचालक तंबाकू या इससे जुड़े उत्पाद दे रहा है तो उसके खिलाफ शिकायत जरूर करें
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Friday, August 14, 2009
आज का सवाल
आज का सवाल :- क्या हम आजादी का पर्व परंपरा में मानते है, पवित्र मन से ?
"मानवता का हो गया अस्त, फिर भी १५ अगस्त "
आपके विचार आमंत्रित है
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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एंव शुभकामनायें.. जय हिंद.. जय भारत..
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ
चाह नहीं मैं प्रेमी माला में
बिंधप्यारी को ललचाऊँ
चाह नहीं सम्राटों के शव पर,
हे हरि डाला जाऊँ
चाह नहीं देवों के सर पर चढूँ,
भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे तोड़ लेना बन-माली,
उस पथ पर देना तुम फेंक
मात्रभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जायें वीर अनेक!
माखन लाला चतुर्वेदी की ईन पंक्तियों को याद करते हुए जब एक पुलिस अधिकारी से अनायास देशभक्ति के माहोल में जब वन्देमातरम की.......
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Sunday, August 9, 2009
स्वाइन फ्लू के कहर से बेखबर छत्तीसगढ सरकार
http://bhadas4cg.com/index.php?option=com_content&view=article&id=148:2009-08-09-09-37-10&catid=41:2009-03-24-16-08-12&Itemid=62
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Thursday, August 6, 2009
बी स एन ल करेगा अब आपके घर के पास में ही वसूली : बिल की
आज सबेरे अखबार में पढ़ा की भारत संचार निगम लिमिटेड याने बी स एन ल छत्तीसगढ में नई योजना शुरू करने जा रही है जिसका कहना कुछ ऐसा है बिल बुगतान की असुविधा को ख़त्म करने के लिए बी स न ल ने किसी निजी कंपनी से करार कर बहुतायत में बिल भुगतान या यु कहे की आपके घर के आस पास ही वसूली सेंटर खोलने का निर्णय लिया है जिसके लिए जगह - जगह काउंटर खोलने का प्रावधन भी है पर वो ये भूल गए की वे अपना ध्यान वसूली से हटा कर सुविधा देने पर भी लगते तो शायद उपभोक्तो को राहत मिलती ४०% कनेक्शन तक पहुच चुकी भारत संचार निगम लिमिटेड में ब्राड बैंड याने इंटरनेट ने फिर जान फुक दी और वो फिर से हरा भरा हो लहलहा उठा , बावजूद उसके आज भारत संचार निगम लिमिटेड ब्राड बैंड का कनेक्शन बाटने तक ही सीमित है . ब्राड बैंड की स्पीड और लिंक फेल जैसी परेशानी से आज हर कोई वाकिफ है तो सुविधा और सर्विस से कोसो दूर उपरोक्त न्यूज़ सुनने मिले तो यही कहा जा सकता है की बी स एन ल ने भी छत्तीसगढ को सरकारी कर्मचारी की तरह दुधारू गाय ही समझ लिया है और ठेकेदारी प्रथा में विश्वाश रखने वाले बी स एन ल के शीर्ष अधिकारियो ने फिर से एक नया शगूफा छोड़ दिया
बहरहाल बी स एन ल की कार्य प्रणाली किसी से छुपी नहीं है तो उन्हें मेरा सुझाव यह है की अगर कनेक्शन बाटने के बाद सुविधा याने सर्विस पर भी तवज्जो दे और जहा वे घर के पास बिल जमा करने के लिए काउंटर खोलने की बात कर रहे है क्या वे उसी तरह घर के पास ही उपभोक्ता के कम्प्लेंट भी सुनेगे या उसे अनदेखा कर देगे मतलब वसूली के लिए पास में काउंटर खोल रहे तो उसी तरह कम्पलेंट और सुविधा के लिए भी सुलभ पहुच किसी व्यवस्था का कोई प्रावधान है की बस यु ही .........................
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