CG4भड़ास.com में आपका स्वागत है Welcome To Cg "Citizen" Journalism.... All Cg Citizen is "Journalist"!

Website templates

Thursday, September 3, 2009

बढ़ेगा राष्ट्रभाषा का दायरा

राजकुमार साहू, जांजगीर


हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा है, लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं के प्रभाव के कारण इसका दायरा सिमट कर रह गया है। हिन्दी हमारे देश का गौरव व अभियान है और किसी देश को कोई भाषा ही एकता के सूत्र बांधे रख सकती है, क्योंकि विचारों की अभिव्यक्ति का यह सशक्त माध्यम होती है। पिछले दिनों केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने समान कोर पाठ्यक्रम की वकालत करते हुए राष्ट्रभाषा हिन्दी को देश के सभी स्कूलों में पढ़ाए जाने को लेकर जिस ढंग से जोर दिया है, यह अच्छा संकेत है। यदि ऐसा होता है और देश भर के सभी स्कूलों में हिन्दी पढ़ाया जाता है तो राष्ट्रभाषा का दायरा तो बढ़ेगा ही, इससे हर भारतवासियों के लिए किसी भी राज्य या हिस्से में अभिव्यक्ति को लेकर कहीं भी असमंजस की स्थिति पैदा नहीं होगी, जो अक्सर ऐसी बात सामने आती रहती है।
राष्ट्रभाषा हिन्दी, भारत का स्वाभिमान का प्रतीक है तथा इसका अनेकता में एकता के सूत्र वाक्य का देश में अपना एक महत्व है, क्योंकि भारत ही दुनिया का ऐसा देश है, जहां हर मामले में विविधता पाई जाती है। चाहे वह भाषा की बात हो या फिर धर्म की तथा जाति हो या अन्य क्षेत्रीयता सहित विविधता की बात हो। सभी मामलों में यहां विविधता है, लेकिन देशवासियों में एकता की भावना एक है, इसमें कहीं विविधता नहीं है। यही कारण है कि आज तक किसी ने यहां की एकता व अखंडता का डिगा नहीं सका है। भारत देश में धर्मनिरपेक्षता की बात दुनिया के लिए मिसाल बनी हुई है। ऐसे में भाषा के मामले में अब क्षेत्रीय भाषाओं के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी भी पढ़ाए जाने के, जोर पकडऩे से निश्चित ही इससे देश के लोगों में विचारों के आदान-प्रदान में वृद्धि होगी, क्योंकि देश के २८ राज्यों में कुछ ही राज्य हैं, जहां हिन्दी पूर्णरूपेण बोला जाता है। कई राज्यों में क्षेत्रीय भाषा व अंग्रेजी का एकाधिकार है। ऐसे में होता यह है कि जब किसी राज्य में जाता है तो वहां राष्ट्रभाषा के जानकार नहीं मिलने से उसे अपनी बात कहने तथा अन्य कार्यों संबंधी दिक्कते हो जाती हैं। संविधान ने अनेक राज्यों में बोली जाने वाली भाषा को स्थान दिया हुआ है और क्षेत्रीय होने के नाते इसकी जानकारी होना व इस भाषा को बोलना तो जरूरी है ही, लेकिन देश के नागरिक होने के नाते ह हर किसी को राष्ट्र की भाषा हिन्दी की जानकारी भी जरूरी है। चाहे वह बोलने की बात हो या फिर लिखने की। मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रभाषा हिन्दी को देश के सभी स्कूलों में लागू किए जाने की पहल सराहनीय है। निश्चित ही इससे हिन्दी भाषा का दायरा तो बढ़ेगा। साथ ही देश भर कोई ऐसी भाषा भी होगी, जिससे कोई भी अपनी बात, कहीं भी रख सकता है। इसके लिए उसे विदेशी भाषा अंग्रेजी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। दुनिया में अंग्रेजी का दायरा बढ़ रहा है। भारत में भी बीते कुछ दशक के दौरान अंग्रेजी का साख बढ़ रहा था, लेकिन मानव संसाधन मंत्रालय के इस पहल से हिन्दी का दायरा कुछ ही राज्यों में न होकर देश के सभी इलाकों तक बढ़ जाएगा।
हिन्दी राष्ट्रभाषा होने के बाद भी कई राज्यों में प्रशासनिक कामकाज हिन्दी में नहीं होती। यह एक चिंतनीय बात है। कई ऐसे सेक्टर हैं, जहां दूर-दूर तक हिन्दी का दखल नहीं है। इस बारे में सरकार ने देर से सोची, लेकिन अब इस निर्णय से जरूर लाभ होगा। देश के स्कूलों में हिन्दी भाषा पढ़ाने की वकालत को यदि अमलीजामा पहनाया जा सकेगा तो इसे राष्ट्रभाषा के विकास व उत्थान की दिशा में अब तक के सबसे बड़े प्रयास के रूप में माना जा सकता है। लोगों को लगता है कि हिन्दी भाषा से पढ़ाई कर जीवन में आगे नहीं बढ़ा जा सकता, यह गलत है, क्योंकि इसका दायरा पहले से ही काफी बढ़ गया है। दुनिया में हिन्दी अखबारों की संख्या अंग्रेजी से कहीं ज्यादा है और इसके पाठकों की भी संख्या अधिक है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिन्दी कितनी समृद्ध है। हालांकि समय के कुछ थपेड़ों ने हिन्दी को लोगों से दूर कर दिया था और इसकी जगह अंगे्रजी ले रही थी, लेकिन देश में हिन्दी, राष्ट्र की अस्मिता के लिए जानी जाती रही है और जाना जाता रहेगा।
हर वर्ष १४ सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। इस दिन तमाम तरह के आयोजन होते हैं, लेकिन इसके बाद हिन्दी की महत्ता व राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा विकास के बारे में कोई नहीं सोचता। इसी का परिणाम है कि आजादी के बाद देश में हिन्दी भाषा का दायरा जितना बढऩा चाहिए था, वह नहीं बढ़ सका है। फिर एक बार हिन्दी दिवस की तारीख नजदीक आती जा रही है। ऐसे में हम सभी को राष्ट्रभाषा की समृद्धि को लेकर संकल्प लेना होगा कि देश ही नहीं, दुनिया में भी राष्ट्रभाषा हिन्दी को एक नई ऊंचाई हासिल हो। ऐसे में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के देश के सभी स्कूलों में हिन्दी पढ़ाने की वकालत, एक स्वर्णिम पल कहा जा सकता है, जिससे हिन्दी की शाख और बढ़ेगी। यदि ऐसा होता है तो देश के किसी भी कोने के लोगों के विचारों का आदान-प्रदान होगा और एक-दूसरे से अभिव्यक्ति भी आसानी से हो जाएगी। अलग-अलग राज्यों में लोगों को अलग-अलग भाषा का ज्ञान होने से कई बार अपनी विचारों को अभिव्यक्त करने में दिक्कतें आ जाती हैं। इस तरह यह पहल कई मायनों में अनुकरणीय है। राष्ट्रभाषा हिन्दी, देश के सभी स्कूलों में जिस दिन से पढ़ाया जाने लगेगा, वह दिन आजाद भारत का एक और स्वर्णिम अवसर होगा, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा और इसे हर भारतवासी हमेशा याद रखेगा और मिलकर कहेंगे हिन्दी हैं हम...।
राजकुमार साहू, जांजगीर

2 comments:

शरद कोकास September 4, 2009 at 10:41 AM  

राजकुमार जी आपका यह सकारात्मक आलेख अवश्य ही हिन्दी प्रेमियों के मन में आशा की एक नई किरण जगायेगा और हिन्दी के लिये किये जा रहे रस्मी आयोजनो से अलग हिन्दी के प्रचार प्रसार और महत्ता स्थापित करने की दिशा मे एक समाधान बनकर प्रस्तुत होगा । -शरद कोकास ,दुर्ग छ.ग.

शरद कोकास September 4, 2009 at 10:43 AM  

राजकुमार जी आपका यह आलेख निश्चित ही हिन्दी के लिये किये जा रहे रस्मी आयोजनो से अलग हिन्दी प्रेमियों के लिये एक सकारात्मक समाधान बनकर प्रस्तुत होगा । -शरद कोकास दुर्ग ,छ.ग.

Post a Comment

कुछ तो कहिये, क्यो की हम संवेदन हीन नही

अपने ब्लॉग पर पेज नंबर लगाइए

CG Blog
Hindi Blog Tips


Send free text messages!
Please enter a cell phone number:

NO Dashes - Example: 7361829726

Please choose your recipient's provider:

Free SMS

toolbar powered by Conduit

Footer

  © Blogger template 'Tranquility' by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP