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Friday, July 31, 2009

ब्लागरो की व्यथा - मानसिकता




जी हा मैंने बहुत से ब्लाग पढ़े है मेरे साथ दिक्कत यह है की मुझे हिंदी में टायपिंग नहीं आती इसलिए मुझे लिखने के लिए अ बी स डी करते टाईप करना पड़ता है सो लिखने में कोताही हो जाती है वर्ना बहुतों की ... ..... चलिए मूद्दे पर आता हु मैंने आज एक ब्लाग पढ़ा, देख कर दंग रह गया की वंहा या सेक्स के पुजारी है या फिर पूर्वाग्रह से ग्रसित ब्लागर जी हा सच कहता हुं आश्चर्य होता है कि देश में इतनी समस्याएं है जहा ९० रु किलो दाल और ५० रु किलो शक्कर होने जा रही है वंहा कोई इतनी आसानी से कल्पनाओं की सराहना करे और यथार्थ से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं हो ये हमारे देश में ही मुमकिन है। हमारे देश में ऐसे बहुत से व्लागर है जो सूचना के नाम पर कल्पना की दूकान चला रहे है जिनका दूर-दूर तक हमसे और हमरे जीवन से नाता नहीं होता इसका एक और उदाहरण मैं आपको बताता हूं मेरे एक मित्र ने एक अख़बार आरम्भ किया उसका नाम था खबरगढ छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित इस अख़बार और उसके सम्पादक के बारे में जब मुझे बताया गया जिस पर मेरी प्रथम प्रतिक्रिया थी की ६ माह में अख़बार बंद हो जायेगा उसका कारण भी था, क्योंकि उसका सम्पादक एक साहित्यकार था ना की पत्रकार मेरी प्रतिक्रिया से विचलित अख़बार के मालिक मेरे दोस्त ने मुझसे पूछा ऐसा क्यों बोल रहे हो मेरा जवाब था की साहित्यकार कल्पनाओं में जीता है और पत्रकार यथार्थ में यही अंतर है साहित्यकार और पत्रकार में इस लिए मैने मेरे दोस्त से कहा की महज ६ माह में अखबार बंद हो जायेगा और शायद हुआ भी वैसा ही वो अखबार बंद हो गया और आज उसका नामोनिशां नहीं है इसलिए मै लोगो से कहता हूं की यथार्त का सामना करो कल्पनाओं में मत जियो लेकिन आज मेरा सामना फ़िर वैसी ही स्थिति से हुआ जहा यथार्थ से कोसो दूर कल्पनाओं की बात करते नजर आए मेरे ब्लागरभाई , वही नही बल्कि उनके प्रश्न्शको की बात करे तो वो भी उसी रंग में डूबे नजर आते है जिनका यथार्थ से कोई सरोकार नहीं होता और वे सभी भी कल्पना की उड़ान में डूबे लेखों की तारीफ करते नजर आए सो मुझे ये बात कहना पड़ रहा है
हो सकता है की आज आपके सर में पितृ छाया हो सो आप दिन में ३ बार बनियान बदलते रहे हो पर मेरी बात याद रखिये जब खुद से बनियान पहनने की बारी आयेगी तो शायद आप को एक बनियान भी नसीब ना हो इस लिए आप सभी से कहता हूं कि गूगल ने आपको ब्लागर बनाया है न की उसका मालिक आज हम सभी अपना सारा समय, अपनी सारी एनेर्जी लगा, अभिव्यक्ति को लोगो तक पहुचाते है और अपने ब्लाग में समय देते है पर उसका रिजल्ट क्या होता है सिफर... वही दुसरी ओर पूर्वाग्रह से ग्रसित हमारे ब्लागर भाई कल्पनाओं में जी रहे है उनका दूर-दूर तक यथार्थ से कोई वास्ता नहीं है तभी तो हम सभी उनकी कल्पनाओं की बातों को सराह रहे है
बहरहाल आप ही बताये कि वे सभी आज अपनी एनेर्जी वेस्ट नहीं कर रहे है तो और क्या कर रहें है। फ्री से मिले इस अवसर को हम सभी अगर देश की जागरूकता लाने में और अपने हितों के लिए लगाते तो शायद बेहतर होता। हिन्दुस्तान में वो सभी साईटें जो मुफ्त में सेवाएं दे रही है हम सभी उसका आनंद उठा रहे है और ये ठीक भी है। पर आप कही अपनी सारी एनर्जी , जिसे जागरूकता लाने और अपने लिए उपयोग होना चाहिए था वो साईट के प्रचार में तो नही चली जा रही है तो दोस्तो किसी कंपनी का प्रचार-प्रसार का साधन बनने के बजाये उपलब्ध अवसरों का अपने और अपने देश के हित में उपयोग करे तो ज्यादा बेहतर होगा ...................

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