लहूलुहान धरती को तलाश है अरूंधति के आंसू की ..
कुछ दिन पहले आप यहाँ आयी थी जंहा आज हिंसा की पराकाष्ठ देखने को मिली है गरीबो की बात करना और एक
बेहतर संसार के निर्माण में आप की लेखनी कुछ ज्यादा ही बोलती है और लेखन के आलावा कला फिल्म में भी यही कुछ होता है गरीबो की बात सारा कुछ सही है.मैडम आप रूमानियत में बहती है आसू तो तब भी निकले होगे जब आपके पहले पति ने आपको तलाक दिया होगा , नहीं निकले होगे तो कुछ और बात है इस घटना को लेकर जो की निहायत ही व्यक्तिगत किस्म का है उसे लेकर हम आप पर कोई उपमा टिपण्णी नहीं लादेगे . बस्तर को लेकर आपने जो कहा लिखा और उसके बाद जो कुछ हुआ क्या उसको लिखने का आपका मन नहीं करता, यदि नहीं करता तो हम यही कहेगे लिखने पढने वाली यह मैडम कितनी संग दिल है दिल्ली में रहकर जंतर मंतर के आसा आस-पास जो कुछ करती है ऊससे कही ज्यादा प्रभावशाली होता आज के दिन आपकी आँखों से टपका हुआ दो बूंद आंसू .... . समर शेष है वही तटस्थ होगा , इतिहास में उसका भी अपराध दर्ज होगा ....
संपादक
रविकांत
CG4भड़ास.कॉम
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