कहां गई तिलक होली, और होली अपराध कब से ?
कहा गई तिलक होली ?
तिलक होली , के चर्चे सुन रहा था पर पहले मुझे लगा की ये स्थानीय किसी संगठन की उपज होगी जो की अक्सर तीज त्योहरों के आते ही आये दिन कोई नया शगुफ़ा छोड़ देते है , पर बाद में मेरी नजर शहर में लगे ऐसे होर्डिग पर पडी
पहले मेरी समझ में नही आया कि ये क्या बला है फिर बाद में ध्यान से देखने पे मुझे दिखाई दिया "जिसमे होली खेलना अपराध है लिखा था" ये वही विज्ञापन है
तिलक होली , के चर्चे सुन रहा था पर पहले मुझे लगा की ये स्थानीय किसी संगठन की उपज होगी जो की अक्सर तीज त्योहरों के आते ही आये दिन कोई नया शगुफ़ा छोड़ देते है , पर बाद में मेरी नजर शहर में लगे ऐसे होर्डिग पर पडी
पहले मेरी समझ में नही आया कि ये क्या बला है फिर बाद में ध्यान से देखने पे मुझे दिखाई दिया "जिसमे होली खेलना अपराध है लिखा था" ये वही विज्ञापन है
अब तो आपको विश्वाश हो गया अगर नहीं हुआ और कुछ दीखता हु
अब देख लिया आपने चलिए कल मै राज भवन , मुख्यमंत्री निवास और शहर में खेली गई होली के चित्र भी आपको दिखाऊगा जंहा दूर दूर तक कही तिलक होली का नामो निशान नहीं है फिर ये सब क्यों ? सस्ती लोकपियता के लिए या कुछ और ? मेरी परेशानी ये नहीं बल्कि ये है
अब आप ही बताइए की होली पर्व , खेलना कब से अपराध हो गया है ये मै नहीं ये विज्ञापन कह रहा है जो की दैनिक भास्कर ने जारी किया है और ऐसे होर्डिग से शहर पटा पड़ा है
मेरे एक मित्र http://anilpusadkar.blogspot.com/ ने ब्लाग में इसे बड़े विस्तार से लिखा था पर उस समय भी मै नहीं समझ पाया मुझे लगा की बस यु ही कोई मुद्दा है फिर मेरी नजर इस विज्ञापन पर पड़ी ऐसा लगा मानो सांप सूंघ गया हो, क्या हो गया है इस देश को हर आदमी दुसरे को बेवकूफ क्यों बनाना चाहता है आखिर क्या ऐसी वजह है की बाकि सभी को वेव्कुफ़ समझ लिया जाता है सिर्फ इसलिए की वो मुकाम पे है या वो कुबेर पुत्र है , और सवयं भू मठाधीश है इस देश के लिए वो जो कहेगे सही होगा देखिये इसे

1 comments:
विज्ञापनों के आधार पर सही मुद्दा और उसपर सही बात रखी है आपने।
तिलक होली की बात कहने वाला मीडिया समूह वह दिन भूल गया जब शहर में रेन-डॉंस उसी ने आयोजित करवाते थे, अब सिर्फ़ एक होली के दिन पानी न खेल कर पानी बचा लेंगे? भले ही साल के बाकी दिन रेन-डॉंस करवाते रहें?
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